"स्नूपगेट" क्या था?
नवंबर 2013 में वेबसाईट्स कोबरापोस्ट और गुलेल डॉट कॉम के ज़रिये "स्नूपगेट" जासूसी मामला बाहर आया। इन वेबसाईटों ने ऑडियो टेप जारी किए जिनमें अमित शाह 2009 के दौरान मोदी के कहने पर पुलिस द्वारा एक युवती की ग़ैरक़ानूनी जासूसी कर रहा था। युवती का फ़ोन टैप किया जा रहा था, उसके परिवार पर नज़र रखा जा रहा था, और गुजरात राज्य के बाहर भी जासूसी की गई थी। बीजेपी ने स्वीकार किया कि मोदी ने राज्य सरकार के संसाधनों और तंत्रों के इस्तेमाल कर इस महिला पर नज़र रखा। उनका कहना है कि यह सब उस महिला के पिता के कहने पर किया गया (हालाँकी यह भी ग़ैरक़ानूनी होता)। इस मामले की जाँच के लिए केंद्र ने जाँच आयोग का गठन किया है, लेकिन 2014 में, मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, गुजरात उच्च न्यायालय ने जाँच को रद्द किया।
सबूत है कि स्नूपगेट मामले के पहले भी मोदी सरकार द्वारा कई पत्रकारों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के फ़ोन टैप किए जा रहे थे। इन मामलों के विस्तार से मालूम पड़ता है कि मोदी का "शासन मॉडल" क्या है: सरकार के संसाधनों और तंत्रों पर उसी का पूरा नियंत्रण है। विकीलीक्स द्वारा लीक की गई पूर्व अमरीकी राजदूत के अनुसार भी मोदी सत्ता अपने ही हाथों में रखता है, और वह अपने कई सलाहकारों के अलावा किसी पर भरोसा नहीं करता है। मोदी के समर्थकों का दावा कि गुजरात 2002 हिंसा पर मोदी का कोई नियंत्रण नहीं था इन सब तथ्यों से असंगत है।
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