2014 लोकसभा चुनाव
सावधानी से वोट करें: एक छोटा फ़िल्म (5 अप्रैल 2014).
राजनीति में विचार की जगह (सत्येंद्र रंजन, रविवार.कॉम, 29 मार्च 2014, हिंदी में)। "अवसरवादी नेताओं... का हर दल में स्वागत है, बशर्ते जातीय या सांप्रदायिक समीकरण, शोहरत अथवा अपनी आर्थिक हैसियत से वे जीतने की क्षमता रखते हों. फिलहाल, इस प्रवृत्ति का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को मिलता दिखता है..."
'हर-हर मोदी' का नारा किसने बनाया: कुछ उत्साही समर्थक या मोदी का पीआर मशीन? (Truth of Gujarat, मार्च 24, 2014, अंग्रेज़ी में।) द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद की आपत्ति के बाद बीजेपी ने कहा था कि 'हर-हर मोदी' पार्टी का नारा नहीं है। लेकिन सबूत है कि मोदी के टीम ने खुद यह नारा बनाया और प्रचार किया।
लोकतंत्र : विज्ञापन के द्वंद्व में गैस का धुआं (पंकज बिष्ट, हिंदी में)
मोदी का मुद्दा विकास नहीं हिन्दुत्व है (हिंदी में)
साम्प्रदायिक फासीवाद की चुनौती – नयी ज़मीन तोड़ते हुए (सुभाष गाताडे, हिंदी में)
मूर्ति मीडिया और मोदी (सुभाष गाताडे, हिंदी में)
पत्रकारों पर बढ़ता दबाव (नवीन पाठक, हिंदी में)
सांप्रदायिकीकरण की राजनीति (हिंदी में)
चुनाव और मोदी का पीआर मशीन (अंग्रेज़ी में)