Narendra Modi
नरेंद्र मोदी फ़ैक्ट्स

नरेंद्र मोदी 2014 के आम चुनाव में भारत का प्रधानमंत्री बन गया। इधर उस पर, और उसको समर्थन देने वाले हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों पर, जानकारी और विश्लेषण (analysis) हैं।


मोदी के शासनकाल में गुजरात में क्या विकास हुआ?

मोदी के समर्थकों के अनुसार गुजरात में मोदी राज के दौरान जो आर्थिक विकास हुआ, वह किसी चमत्कार से कम नहीं। "गुजरात मॉडल" की यह कहानी मोदी के 2014 आम चुनाव विजय का एक बड़ा कारण माना जाता है। तो इस मॉडल की सच्चाई क्या है?

2004-2012 में गुजरात के जीडीपी (सकल देशी उत्पाद) की वृद्धि इंडिया की जीडीपी वृद्धि से थोड़ी अधिक थी। लेकिन अगर मानव विकास संकेतकों को देखा जाए तो गुजरात पीछे रह गया। मिसाल के लिए गुजरात के आर्थिक विकास के साथ साथ बच्चों में गंभीर कुपोषण भी बहुत बढ़ा। अनोखी बात है कि मोदी के अनुसार गुजरात में कुपोषण लोगों का शाकाहारी सिद्धांत का पालन और खूबसूरती बनाए रखने की चेतना के वजह से था।

नवसर्जन ट्रस्ट द्वारा 2009 में किए गए जाँच में यह पाया गया कि गुजरात में दलितों के साथ बड़े पैमाने पर भेदभाव होता है, और उनके खिलाफ़ आम तौर पर हिंसा होती है। इन जाँच-परिणाम को गंभीरता से लेने और उन पर कार्रवाई करने के बजाय गुजरात सरकार ने अपना ही एक छोटा-सा जाँच करवाया और इन आरोपों को गलत ठहराने की कोशिश की। गुजरात सरकार के रपट के अनुसार जाति भेद सिर्फ़ एक धारना है

मोदी समर्थक यह भी कहते थे कि गुजरात में होने वाले पूंजी निवेश व्यापार समुदाय का मोदी सरकार पर विश्वास का सबूत हैं। लेकिन यह भी राज्य सरकार के अन्य आर्थिक नीतियों के संदर्भ में देखे जाने चाहिए। मसलन अत्याधिक उधार लेना या कंपनियों को उदार प्रोत्साहन देना जिसमें बहुत सारा सार्वजनिक संपत्ति और संसाधन प्राइवेट कंपनियों को दिया गया: जैसे टाटा, रिलायन्स, एस्सार स्टील और अदानी ग्रूप। गुजरात में भ्रष्टाचार के बारे में इधर पढ़ें

गुजरात के भाजपा शासन के दौरान विकास और वृद्धि की कहानी की समीक्षा इस किताब में की गई है। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने भी गुजरात विकास मॉडल की आलोचना की। सेन के अनुसार गुजरात शिक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, जीवन प्रत्याशा जैसे मौलिक विकास संकेतकों में पीछे रह गया। विशेषज्ञ क्रिस्टोफ़ जफ्रेलो का कहना था कि गुजरात का विकास बड़े पैमाने पर कर्ज़ पर चलता था, और उपेक्षित समूह जैसे आदीवासी और भी पीछे छूट जाते थे। इन सब तथ्यों को देखा जाए तो लगता है कि चमकता गुजरात मोदी की पीआर मशीन की एक रचना थी।


silly@silly.com
पिछला अपड़ेट: Oct. 2019