'दुनिया भर में कोविड-19 (नोवेल कोरोनावायरस रोग 2019) के प्रसार को रोकने के लिए लोग तेज़ी से आत्म-अलगाव (होम आइसोलेशन) के साथ घर से काम करने का विकल्प चुन रहे हैं। हालांकि, कश्मीर के लोगों का कहना है कि घाटी में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाओं पर लगे प्रतिबंध के चलते घर से काम करना न केवल मुश्किल है बल्कि असंभव भी है। पिछले अगस्त में धारा 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद, अब इंटरनेट बंद में पिछले महीने ही थोड़ी सी ढील दी गई थी...'
'सरकार द्वारा महीनों बाद कम स्पीड वाले इंटरनेट को बहाल करने के बाद कश्मीर में "सफ़ेदसूचीबद्ध" (व्हाइटलिस्टेड) वेबसाइटों तक पहुंच काफ़ी कम हो गई है क्योंकि, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क्स (वीपीएन) ने जो राहत प्रदान की थी वह कुछ क्षण के बाद बंद कर दी गई और अब क्षेत्र के स्थानीय लोग फिर से इंटरनेट की सीमित पहुंच से जूझ रहे हैं। प्रशासन ने कश्मीर में वीपीएन के उपयोग पर रोक लगा दी है, घाटी में मौजूद लगभग सभी पर दूरसंचार कंपनियों ने रोक लगा दी हैं। निवासियों का कहना है कि वीपीएन को अवरुद्ध करने से उनका "सफ़ेदसूचीबद्ध" वेबसाइटों तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है क्योंकि ये वेबसाइट अचानक कम हुए बैंडविड्थ क
'जम्मू कश्मीर पुलिस उन लोगों के खिलाफ कठोर यूएपीए कानून का इस्तेमाल कर रही है जो कथित तौर पर सोशल मीडिया वेबसाइट इस्तेमाल करने के लिए वीपीएन या प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल कर रहे हैं. द वायर ने पहले ही रिपोर्ट कर बताया था कि घाटी में इंटरनेट को आंशिक तौर पर बहाल किया गया है और सिर्फ करीब 350 वेबसाइट्स को ही इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है. सभी सोशल मीडिया साइट्स को बैन कर दिया गया है और यह पहला ऐसा मौका है जब प्रतिबंध तोड़ने के चलते एफआईआर दर्ज किया गया है...'
'कश्मीर घाटी में शनिवार को करीब छह महीने के बाद पहली बार कम गति की इंटरनेट सेवा (टूजी) बहाल कर दी गई है. प्रशासन ने यह भी कहा है कि फिलहाल इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले 301 वेबसाइटों का ही इस्तेमाल कर सकेंगे...'
'कश्मीर में इंटरनेट पर लगी पाबंदी के लेकर नीति आयोग के सदस्य और पूर्व डीआरडीओ चीफ वीके सारस्वत ने एक विवादस्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर कश्मीर में इंटरनेट में नहीं है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वैसे भी उस पर गंदी फिल्में ही देखी जाती हैं...'
'प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि उनकी सरकार में सभी तरह के आंकड़े और सेवाएं ऑनलाइन होने के कारण पारदर्शिता आई है। अगर यह सच है तो उनकी सरकार फिर इंटरनेट बंद करने में नंबर-वन क्यों है?