'इस समय हमारे देश में देशद्रोह (सेडिशन) कानून का जबरदस्त दुरूपयोग हो रहा है। ऐसा ही एक मामला हाल में कर्नाटक में हुआ है। कर्नाटक के बीदर नामक नगर के एक स्कूल में एक नाटक खेला गया था। नाटक में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की आलोचना की गई थी। इस मुद्दे को लेकर स्कूल और उसके शिक्षकों पर सेडिशन कानून जड़ दिया गया और कई शिक्षकों और छात्रों के अभिभावकों को गिरफ्तार कर लिया गया। जिन्हें गिरफ्तार किया गया उनमें 9 वर्ष की एक छात्रा की मां नजमुनीसा भी शामिल थी। नजमुनीसा को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसकी 9 साल की बेटी ने नाटक में सीएए के खिलाफ कुछ बातें कहीं थीं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका
'भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने हैदराबाद में रहने वाले 127 लोगों को एक नोटिस जारी किया है. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इसमें उनसे कहा गया है कि वे मई 2020 तक एक जांच अधिकारी के सामने पेश हों. इन सभी लोगों को यह साबित करना होगा कि उन्होंने आधार के लिए फर्जी दस्तावेज नहीं दिए हैं. इसके लिए उन्हें मूल दस्तावेज जमा करने होंगे. बीबीसी के मुताबिक इनमें से एक मोहम्मद सत्तार ख़ान भी हैं. उनका कहना है कि वे भारतीय नागरिक हैं मगर इस नोटिस में उनसे अपनी ‘नागरिकता साबित’ करने के लिए भी कहा गया है...'
'राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे कश्मीर के तीन इंजीनियरिंग छात्रों को बांड भरवाकर रिहा किये जाने के बाद पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने पर उन्हें सोमवार को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। हुबली-धारवाड़ के पुलिस आयुक्त आर. दिलीप ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ उन्हें (कश्मीरी छात्रों को) फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत के समक्ष पेश कर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।’’ पुलवामा हमले की पहली बरसी पर पाकिस्तान के समर्थन में कथित रूप से नारेबाजी करने और सोशल मीडिया पर उसका वीडियो पोस्ट करने के मामले में राजद्रोह के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किया गया था...'
'जम्मू कश्मीर पुलिस उन लोगों के खिलाफ कठोर यूएपीए कानून का इस्तेमाल कर रही है जो कथित तौर पर सोशल मीडिया वेबसाइट इस्तेमाल करने के लिए वीपीएन या प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल कर रहे हैं. द वायर ने पहले ही रिपोर्ट कर बताया था कि घाटी में इंटरनेट को आंशिक तौर पर बहाल किया गया है और सिर्फ करीब 350 वेबसाइट्स को ही इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है. सभी सोशल मीडिया साइट्स को बैन कर दिया गया है और यह पहला ऐसा मौका है जब प्रतिबंध तोड़ने के चलते एफआईआर दर्ज किया गया है...'
'जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी द्वारा 15 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया की लाइब्रेरी में पुलिस के घुसने और हिंसा की फुटेज जारी करने के एक दिन बाद एक अन्य फुटेज सामने आयी है, जहां पुलिस छात्रों के लाइब्रेरी का दरवाजा ब्लॉक करने के बाद उसे तोड़कर अंदर घुसकर निहत्थे छात्रों पर लाठियां बरसाती नजर आ रही है. मकतूब मीडिया द्वारा जारी 5 मिनट लंबी यह वीडियो फुटेज ओल्ड रीडिंग हॉल के दरवाजे के पास लगे सीसीटीवी की है.
'जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल के खिलाफ विवादास्पद जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया है. आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से हिरासत में बंद फैसल के खिलाफ शुक्रवार रात को पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की ‘एहतियातन हिरासत’ की मियाद खत्म होने से महज कुछ ही घंटे पहले छह फरवरी की रात को दोनों नेताओं के खिलाफ पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया था...'
' उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में भाषण देने के आरोप में मथुरा जेल में बंद डॉ. कफील खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्यवाही की गई है. अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश कुलहरी ने बताया, ‘डॉ. कफील खान के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है और वे जेल में ही रहेंगे.’ कफील वर्तमान में मथुरा जेल में बंद हैं...'
'नज़्बुन्निसा सिंगल मदर हैं जो दूसरों के घरों में काम कर गुज़ारा करती हैं. उन्होंने हमें अपना पूरा नाम नहीं बताया. नज़्बुन्निसा और फ़रीदा बेगम को 30 जनवरी को गिरफ़्तार किया गया था. फ़रीदा उस स्कूल में टीचर हैं जहां उनकी बेटी पढ़ाई करती है. दोनों महिलाओं पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया गया है जिससे दोनों इनकार करती रही हैं. कर्नाटक के उत्तर में बसे बीदर ज़िले की जेल में मेरी उनसे मुलाक़ात हुई. जेल अधिकारी के कमरे में हुई मुलाक़ात में उन्होंने कहा कि वो मज़बूत बने रहने की बहुत कोशिश कर रही हैं लेकिन अचानक से उनकी ज़िंदगी में उथल-पुथल मच गई है...'
'उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ पर निकले करीब आधा दर्जन युवाओं को गाजीपुर में गिरफ्तार कर लिया है. यह पदयात्रा राज्य के चौरी-चौरा से शुरू हुई थी और इसे दिल्ली में राजघाट पर खत्म होना था. यात्रा में शामिल युवाओं के मुताबिक यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई क्योंकि ‘यह वो जगह थी जहां 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था. उस दिन ऐसे आज़ाद हिंदुस्तान की तासीर तय हो गई थी जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी, फिर चाहे वो हमारा शोषक, हमारा दुश्मन ही क्यों न हो.’...'
'संशोधित नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ पूरे देश में आंदोलन जारी है। दिसंबर से ये सिलसिला चल रहा है। देश के अलग-अलग इलाकों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए और सरकारों की तरफ से इस विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की गयी। लेकिन उत्तर प्रदेश में सरकर ने अपने ही नागरिकों के खिलाफ बहुत ही क्रूर ढंग से कार्रवाई की। सरकार की क्रूर कार्रवाई की गवाह बनी सोशल मीडिया पर इस सिलसिले के कई सारे वीडियो और तस्वीरें हैं। जिन्हें आप कभी भी देख सकते हैं। इस क्रूरता के खिलाफ सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश का दौरा किया और पुलिस दमन पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसी कड़ी में क्विल फॉउंडेशन, बच्चों के अधिकारों क