'इन झुग्गियों में रहने वाले एक 35 वर्षीय महिला रेखा बताती हैं कि यहां महिपालपुर का कूड़ा-कबाड़ उठाने वाले करीब 100 परिवार रहते हैं। यहां पानी की एक बूंद भी नहीं बची है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन दिनों से उनका बेटा और भतीजा एक निजी स्वामित्व वाले बोरवेल तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पुलिस के भारी दबाव के कारण वह वहां तक नहीं पहुंच पा रहे। ‘द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत’ में रेखा ने कहा कि मेरे बेटे ने कुछ दिन पहले पानी लाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने बीच में ही भगा दिया, उसे लाठियों से मारा और उसे घर वापस जाने के लिए कहा। उन्होंने एक दिन पहले मेरे भतीजे के साथ भी ऐसा ही क
'कोरोना वायरस के फैलाव और संक्रमण को रोकने के नाम पर केंद्र की भाजपा सरकार के मुखिया व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह आनन-फानन में, परपीड़क (सैडिस्ट) अंदाज़ में, देश की जनता को विश्वास में लिये बगैर, देशव्यापी लॉकडाउन (देश बंद- काम बंद- जनता बंद- अनिश्चितकालीन कर्फ़्यू) की घोषणा की, उसकी असलियत एक ख़बर और एक फ़ोटो ने उजागर कर दी है। यह दृश्य विचलित कर देने वाला है। इससे, और अन्य कई घटनाओं व दृश्यों से, पता चलता है कि लॉकडाउन देश की करोड़ों-करोड़ ग़रीब जनता और मेहनतकश तबकों पर केंद्र की भाजपा सरकार का अत्यंत बर्बर राजनीतिक हमला है। इसने उन्हें न सिर्फ़ जीने के साधन और रोज़गार के अवसर
'कोरोना के बढ़ते संकट की वजह से लोगों के काम ठप हो रहे हैं। पहले से ही बीमार अर्थव्यवस्था और मुश्किल में आ गई है। जिसकी वजह से सबसे अधिक मजदूर वर्ग प्रभावित हो रहा है। इसमें भी सबसे अधिक वो मज़दूर परेशान हैं जो को रोज़ कमाते-खाते हैं। इसके साथ ही रेस्टोरेंट व होटल, टैक्सी और ड्राइविंग के काम से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट आ गया है। भारतीय रेलवे ने कई ट्रेनें रद्द कर दी हैं। कई कंपनियां अपने कर्चारियों को एहतियातन ‘वर्क फॉर्म होम’ दे रही हैं यानी वे घर से ही काम करें। इसके साथ ही कई कंपनिया अपने कर्मचारियों को पेड लीव (सवेतन अवकाश) दे रही हैं लेकिन कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को बिन
'कोरोना वायरस जीवन के संकट के साथ-साथ आर्थिक संकट भी लेकर आया है। बड़े उद्योगपति इस संकट को झेल लेंगे लेकिन छोटे-छोटे कामगार, रोज़ कमाने-खाने वालों के लिए हर दिन मुश्किल है। उत्तराखंड में पर्यटन पर इसका सीधा असर पड़ा है। यहां आने वाले पर्यटक स्थानीय लोगों के आजीविका के साधन हैं। पर्यटकों की आवाजाही से जिनकी आर्थिकी जुड़ी होती है। राज्य के स्कूल-कॉलेज बंद होने से उसके ईर्दगिर्द खाने-पीने की चीजें बेचकर गुज़ारा करने वालों की बिक्री कम हो गई है तो ऑटो, रिक्शा, स्कूल वैन ड्राइवर भी इस मंदी के शिकार हो गए हैं...'
'नागौर ज़िले की खींवसर तहसील का तांतवास गांव. रेत के छोटे-मोटे धोरों और खेतों के बीच बने इकलौते घर से रह-रह कर सात महीने की किरण (बदला हुआ नाम) के रोने की आवाज़ आ रही है. यहां मौजूद महिलाएं बताती हैं कि ‘किरण की मां सोहनी ने तीन-चार दिन से कुछ खाया-पिया नहीं है, इसलिए उन्हें दूध नहीं उतर रहा है. किरण ऊपर का दूध नहीं पीती, सो वह कल से ही भूख के मारे रोए जा रही है.’ किरण विसाराम/विसालाराम की बेटी है जिनके साथ बीती 16 फरवरी को कुछ लोगों ने चोरी के इल्ज़ाम में घंटों तक बर्बरता से मारपीट की और उनके गुप्तांग में पेट्रोल डाल दिया. बाद में इस घटना का वीडियो वायरल हो गया था.
'अहमदाबाद नगर निगम इंदिरा ब्रिज से सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जोड़ने वाली रोड के किनारे बसी झुग्गी-झोपड़ियों के आगे दीवार बना रहा है. यह दीवार 500 मीटर लंबा और सात फीट चौड़ी है. एनडीटीवी के अनुसार, यह दीवार इसलिए बनाई जा रही है कि ताकि भारत दौरे पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ये झुग्गी-झोपड़ियां न दिखें. अपने दो दिनों के भारत दौरे के दौरान ट्रंप अहमदबाद भी जाएंगे. ट्रंप और मोदी की अहमदाबाद में एक रोड शो करने की योजना है...'
'केंद्र सरकार ने खाद्य सब्सिडी के बजट में पिछले साल के मुकाबले करीब 70,000 करोड़ रुपये की कटौती की है. वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र की सुरक्षा का बजट बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है. बीते शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 115569.68 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. जबकि पिछले बजट में इसी योजना के लिए 184220 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. इतना ही नहीं, सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट को भी कम करके 108688.35 करोड़ रुपये कर दिया है.
'केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराने वाली मनरेगा योजना के बजट में कटौती की है, शनिवार को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट में मनरेगा के लिए 2020-21 में 61500 करोड़ रूपये आवंटित किये है जबकि पिछले वर्ष 2019-20 के संशोधित बजट में 71002 करोड़ रूपये की राशि आवंटित की गयी थी यानि इस बार बजट में 9502 करोड़ रूपये की कटौती की है । इस कटौती पिछले वर्ष से 13.4 फीसदी है ।'
'...हक़ीक़त तो यह है कि भारत में आर्थिक-असामनता का बढ़ना निरंतर जारी है। एक अर्थ में यह कह सकते हैं कि कुल संपदा में शीर्ष के 1% लोगों की स्थिति पूरी तरह से असंदिग्ध है, जैसा कि तथ्यों से जाहिर है कि बढ़ते आर्थिक-असमानता के मामले में ज़्यादातर विकसित और "नए उभरते" देशों के समूह से संबंधित देशों की तुलना में यहाँ पर यह ऊँचे स्तर पर बना हुआ है। वास्तविकता में इन विकसित और "नए उभरते" देशों के समूह में यदि पुतिन के रूस और बोल्सोनारो के ब्राज़ील को छोड़ दें तो, जिनके शीर्ष के 1% लोगों की धन सम्पदा का आबादी के बाकी हिस्सों से 2019 में भारत के 1% धनाड्य वर्ग से कहीं अधिक है, वर्ना बाकी के देशों की तुलन
'एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के एक फीसदी अमीरों के पास 70 फीसदी आबादी (करीब 953 मिलियन) की कुल संपत्ति का चार गुना धन है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश के 63 अरबपतियों के पास 2018-19 के भारत के बजट से ज्यादा धन है. 2018-19 में भारत का बजट 24 लाख 42 हजार 200 करोड़ रुपये था...'