'सफाईकर्मियों की सुरक्षा से जुड़े तमाम प्रयासों और दावों के बावजूद पिछले तीन वर्षों में सीवर की सफाई करने के दौरान कुल 271 लोगों की जान चली गई और इनमें से 110 मौतें सिर्फ 2019 में हुई हैं. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की ओर से सूचना के अधिकार के तहत प्रदान किए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है. यह आरटीआई आवेदन पीटीआई ‘भाषा’ द्वारा दायर किया गया था...'
'हमारी इलेक्टोरल बॉन्ड संबंधी कागज़ात की पड़ताल में यह सामने आया है कि इस विवादास्पद योजना के बारे में सूचना प्रदान करने में भारतीय स्टेट बैंक ने सार्वजनिक रूप से गलतबयानी की थी और कुछ मामलों में सूचना के अधिकार के तहत किए गए आवेदनों पर झूठे जवाब भी दाखिल किए थे. यह इसके बावजूद था कि बैंक ये सूचनाएं नियमित रूप से वित्त मंत्रालय को भेज रहा था. सूचना कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने एक आरटीआई आवेदन में एसबीआई से 13 सीधे सवाल पूछे थे.
'नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोध के बीच केरल में एक शख्स ने आरटीआई दाखिल करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नागरिकता का सबूत मांगा है। राज्य के सूचना विभाग में अर्जी के जरिए पूछा गया है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी भारतीय नागरिक हैं। त्रिशूर जिले के रहने वाले जोश कलूवेत्ती ने 13 जनवरी को केरल के सूचना विभाग में आरटीआई डाली थी। याचिका में कहा गया है कि ऐसे कौन से दस्तावेज हैं जिससे साबित होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के नागरिक हैं...'
'तकिया कलाम प्रभावशाली होते है , वे एक ही समय में बहुत सारी भावनाएं और उनके साथ अर्थ पैदा कर सकते हैं। व्यापक तौर पर असर डालने में मदद करते हैं। ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’-आप इस वाक्यांश को पूरे सोशल मीडिया पर अक्सर एक हैशटैग के साथ देखेंगे। इसका इस्तेमाल सत्ता से सवाल करने वालों को राष्ट्र-विरोधी के रूप में जोड़ने के लिए किया जाता है। दीपिका जेएनयू गईं- टुकड़े-टुकड़े गैंग का साथ दिया।
'तकिया कलाम प्रभावशाली होते है , वे एक ही समय में बहुत सारी भावनाएं और उनके साथ अर्थ पैदा कर सकते हैं। व्यापक तौर पर असर डालने में मदद करते हैं। ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’-आप इस वाक्यांश को पूरे सोशल मीडिया पर अक्सर एक हैशटैग के साथ देखेंगे। इसका इस्तेमाल सत्ता से सवाल करने वालों को राष्ट्र-विरोधी के रूप में जोड़ने के लिए किया जाता है। दीपिका जेएनयू गईं- टुकड़े-टुकड़े गैंग का साथ दिया।
'दिल्ली पुलिस को पिछले साढ़े तीन साल में अपने कर्मियों के खिलाफ लगभग 19 हजार शिकायतें मिलीं, लेकिन कार्रवाई केवल 8.2 प्रतिशत शिकायतों पर की गई. इतना ही नहीं इसी अवधि में निलंबित किए 1,422 में से 80 फीसदी से ज्यादा कर्मचारियों को बहाल भी कर दिया गया...'
'सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जरिए खुलासा हुआ है कि कुल 12 फेज में से 11 फेज के दौरान खरीदे गए कुल चुनावी बॉन्ड में से 91 फीसदी एक करोड़ रुपये के थे. ये चुनावी बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक के चुनिंदा शाखाओं से बेचे गए. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर लोकश बत्रा (रिटायर्ड) द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि पहले 11 फेज में कुल 5,896 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे गए और इसमें से 91 फीसदी से ज्यादा बॉन्ड एक करोड़ रुपये के थे.
'हाल ही में लाए गए नए नियमों के तहत केंद्र सरकार को केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग के ऊपर नियंत्रण देना यह सुनिश्चित करेगा कि आरटीआई की अपील पर सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक काम हो... सूचना का अधिकार (आरटीआई) पर नरेंद्र मोदी सरकार के असली असर को लेकर सस्पेंस और रहस्य का पर्दा हट गया है. सभी सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता को पहुंचा नुकसान उम्मीद से भी ज्यादा है. न सिर्फ उनकी स्वतंत्रता को कम कर दिया गया है- बल्कि सूचना आयोग और इसके मुखिया को सरकार के अधीन कर दिया गया है.
'अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाकर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने के संबंध में आरटीआई के तहत द वायर की ओर से मांगी गई जानकारी देने से भी गृह मंत्रालय ने मना कर दिया है... केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि वे यूएपीए संशोधन विधेयक, 2019 संबंधी दस्तावेज़ राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं दे सकते हैं. इसके अलावा मंत्रालय ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के संबंध में भी कोई जानकारी देने से मना कर दिया है.
'आगरा केंद्रीय कारागार ने एक आरटीआई आवेदक को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद राज्य से यहां लाए गए कैदियों की जानकारी देने से मना कर दिया है. जानकारी नहीं देने के पीछे किसी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरे में डाल सकने वाली सूचना और ‘तीसरे पक्ष’ की सूचना देने से छूट वाले प्रावधान का हवाला दिया गया है. कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव से जुड़े आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक के प्रश्नों के जवाब में आगरा जेल के अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर से लाए गए कैदियों के बारे में सूचना देने से इनकार कर दिया...'