'17वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम को भारतीय जनादेश कहने में क्यों उलझन हो रही है? क्योंकि उसके पहले यह मानना होगा कि भारतीय जन जैसी एक अवधारणा मौजूद है.
वह क्यों और कैसे भारतीय है, यह भी परिभाषित करना होगा. इस भारतीय के ख्याल के बनने की बुनियाद है परस्परता. वह भी सकारात्मक अर्थ में. क्योंकि परस्परता में एक दूसरे में रुचि तो शामिल है, लेकिन यह हमेशा कल्याणकारी कामना से युक्त हो, यह आवश्यक नहीं.
मैं आपके बारे में दिन-रात सोचता रहता हूं, लेकिन आपके विनाश की इच्छा के साथ. आपके प्रति मेरी यह परस्परता आपके लिए घातक है. भारत में नकारात्मक परस्परता की पुरानी परंपरा है...'