'तीन दिनों तक उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंदुत्ववादी नेताओं द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोधियों पर हमला करने और उन्हें डराने के लिए इकट्ठा किए गए हथियारबंद गुंडों के कब्जे में रही. इन गिरोहों और इनके नेताओं का चरित्र ऐसा था कि इस हिंसा ने जल्दी ही किसी ‘राजनीतिक मकसद’ का दिखावा भी त्याग दिया और यह मुसलमानों के खिलाफ एक नंगे सांप्रदायिक बलवे में तब्दील हो गयी. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार- जिसके जिम्मे राष्ट्रीय राजधानी की कानून और व्यवस्था है- की नाक के नीचे मची अंधेरगर्दी और अराजकता में एक पुलिसकर्मी सहित 35 से अधिक लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग जख्मी हुए हैं...'
'दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर कर दिया गया है। जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली में लगातार बढ़ रही हिंसक गतिविधियों को देखते हुए आधी रात को कोर्ट खोल कर पीड़ितों को जरूरी इलाज मिले यह सुनिश्चित किया और आज दोपहर को उन्होंने सुनवाई करते हुए बीजेपी के तीन नेताओं अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा पर एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे... जस्टिस मुरलीधर कड़े फैसले देने वाले जजों में से माने जाते हैं। उन्होंने हाशिमपुरा नरसंहार मामले, 1984 में हुए सिख दंगों में शामिल रहे सज्जन कुमार के मामले में भी फैसला सुनाया था। अब उनका ट्रांसफर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट कर दिया गया है...'
'नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली में हुए हिंसक प्रदर्शन मामले में दाखिल याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस बीच जस्टिस एस. मुरलीधर को दिल्ली हाईकोर्ट से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया है. जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर सवाल खड़े किए तो केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जवाब दिया... जस्टिस एस. मुरलीधर ने साल 2003 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की. उन्होंने साल 2004 में 'लॉ, पॉवर्टी एंड लीगल एड: एक्सेस टू क्रमिनिल जस्टिस' नाम की एक किताब भी लिखी है... जस्टिस एस.
'दिल्ली की हिंसा को नहीं रोक पाने और निष्क्रियता की भारी आलोचना के बीच, ऐसी ख़बर है कि दिल्ली पुलिस ने एक थाने में उन वकीलों से मारपीट की जो गिरफ़्तार किए गए लोगों से मिलने गए थे। उत्तरी दिल्ली के खुरेजी में में नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों को गिरफ़्तार कर जगतपुरी पुलिस थाने ले जाया गया। वकीलों के एक समूह को इसका पता चला और वे सीआरपीसी की धारा 41D के तहत एक आवेदन के साथ इस थाने पर पहुंचे ताकि वे उन लोगों से मिल सकें जिनको गिरफ़्तार किया गया है। वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों ने गिरफ़्तार हुए लोगों से मिलने के उनके आग्रह को यह कहते हुए नहीं माना कि एसएचओ थाने में नही
'दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में तीन दिन से जारी हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा 17 तक पहुंच गया है. 48 पुलिसकर्मियों सहित 150 से ज्यादा लोग घायल हैं. इस बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के डीसीपी दफ्तर जाकर मौजूदा हालात के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली. उन्होंने हिंसा की चपेट में आए इलाकों का दौरा भी किया. इस दौरान दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक भी उनके साथ थे...'
'उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में अब तक 22 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इनमें दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल भी शामिल हैं. दिल्ली के कई अस्पतालों में इस हिंसा में घायल हुए लोगों का इलाज चल रहा है, वहीं मृतकों के परिजनों ने कहा है कि इस हिंसा के लिए भाजपा नेता कपिल मिश्रा जिम्मेदार हैं. जीटीबी अस्पताल में बैठे हरि सिंह सोलंकी ने इस हिंसा में अपने बेटे राहुल सोलंकी को खोया है. 26 साल के राहुल घर से किराने का सामान लेने निकले थे, जब लौटते समय एक गोली उनके गले में आकर लगी. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सोलंकी के परिजन हिंसा भड़काने के लिए भाजपा नेता कपिल मिश्रा को जिम्मेदार मानते हैं.
'25 फ़रवरी के ट्विटर ट्रेंड्स में ‘mosque’ और ‘Rana Ayyub’ टॉप पर रहा. ये तब हुआ जब अयूब ने एक वीडियो ट्वीट किया. वीडियो में कुछ लोगों को एक मस्जिद पर हनुमान झंडा लहराते हुए ‘जय श्री राम’ और ‘हिंदुओं का हिंदुस्तान’ नारे लगाते हुए सुना जा सकता है. अयूब ने बाद में इस वीडियो को तहसीन पूनावाला के दावे के बाद डिलीट कर दिया. तहसीन का दावा था कि इस वीडियो का नागरिकता संशोधन कानून से कोई लेना देना नहीं है. अयूब ने इस वीडियो की पुष्टि करने के बाद इसे फ़िर से शेयर किया है...'
'सोमवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से आगजनी, गोलीबारी और पथराव की खबर सामने आई जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल और चार नागरिकों की मौत हो गई थी. वीडियो में देखा गया कि भीड़ द्वारा पथराव के दौरान दिल्ली पुलिस खड़ी रही. द वायर के पत्रकारों के घटनास्थल पर पहुंचने पर प्रत्यक्षदर्शियों ने हिंसा के बाद ‘युद्ध-क्षेत्र’ बन चुके इलाकों का हाल बयान करना शुरू कर दिया...'
'बीते रविवार से ही दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में नागिरकता संशोधन कानून को लेकर दो गुटों के बीच झड़प जारी है. रविवार को स्थिति काफी गंभीर हो गई और दोनों पक्षों के अपद्रवियों ने भीषण हिंसा की, कई दुकानों और गाड़ियों को आग लगाया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. इसके चलते दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल समेत सात लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हैं. इस घटना को कवर करने गए कई पत्रकारों पर हमला करने और उन्हें डराने-धमकाने की भी खबरें आईं हैं.
'उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जारी हिंसा के बीच उपद्रवी भीड़ ने रिपोर्टिंग करने गए एनडीटीवी के तीन रिपोर्टरों और एक कैमरापर्सन पर हमला कर दिया. इसके अलावा मौजपुर में एक टीवी चैनल के पत्रकार को भी गोली लगी है. एनडीटीवी के मुताबिक उनके पत्रकार वहां अपना काम कर रहे थे और उस समय वहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई पुलिसवाला मौजूद नहीं था. पत्रकार अरविंद गुणशेखर को एक भीड़ ने घेर लिया और उनके चेहरे पर मारा. चैनल के मुताबिक अरविंद का एक दांत टूट गया, उनके सिर पर एक लाठी पड़ने वाली थी कि तभी एनडीटीवी के ही सहयोगी सौरभ शुक्ला ने उन्हें बचाया. वो लाठी सौरभ शुक्ला को लगी.