'पिछले हफ्ते की शुरुआत में उत्तर पूर्व दिल्ली के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में अब तक कम से कम 42 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से अधिक लोग घायल हैं। ज्यादातर लोग 24 और 25 फरवरी से हिंसा की बात कर रहे हैं लेकिन इसकी भूमिका इससे पहले शनिवार रात यानी 22 फरवरी से बनने लगी थी। गौरतलब है यह सब किसी एक इलाके में नहीं हो रहा था बल्कि उत्तर पूर्व के कई इलाकों में एकसाथ, कई घटनाएं घट रही थी। इस पूरे इलाके में लगभग 10 से अधिक जगहों पर सीएए के खिलाफ दिन रात का धरना जारी था। इसे लेकर तरह-तरह के भ्रम, अफवाहें भी लोगों के बीच फैलाई जा रहीं थी। हिंसा की वजह को समझने के लिए समय के साथ इस पूरे
'दिल्ली दंगों के दौरान हुई हिंसा के साथ महिलाओं के साथ बदसलूकी की घटनाएं भी हुई हैं. शिव विहार में हिंसा के बाद ढेरों महिलाओं ने मुस्ताफाबाद में शरण ली है. इन महिलाओं ने द वायर को बताया कि दंगों के दौरान उनके साथ यौन हिंसा की भी घटनाएं हुई हैं.'
'...दंगाग्रस्त उत्तर-पूर्व दिल्ली के भागीरथी विहार नाला रोड में एक जले हुए घर के सामने बीते सप्ताह मंगलवार को हुई घटना के बारे में याद करते हुए रजा ने पूरी बात बताई। टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, रजा ने कहा, “वे तेज आवाज में धार्मिक नारे लगा रहे थे। शाम के करीब 7 बजे थे। उन्होंने हमारे ऊपर पत्थरबाजी शुरू कर दी। मैंने मदद के लिए पुलिस के पास फोन किया, लेकिन पुलिस ने मुझे अपना घर छोड़कर भाग जाने की सलाह दी। उन लोगों ने मेरे घर को जला दिया और सारी चीजें तहस-नहस कर दी। हालांकि इससे पहले हम घर छोड़कर भागने में सफल रहे।” अख्तर रजा दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले के बीजेपी अल्पसंख्यक इकाई के उपाध्यक
'अंकुर शर्मा ने एक टेलीफोन साक्षात्कार में कहा "वे पत्थर, छड़, चाकू और तलवारों से लैस होकर आए थे। वे ज़ोर-ज़ोर से 'जय श्री राम' के नारे लगा रहे थे। कुछ नेहेलमेट भी पहना रखा था...'
'नफरत की आग अभी भी शांत नहीं हुई है। शिव विहार में शुक्रवार की सुबह अयूब नाम के एक शख्स को पीट-पीटकर मार दिया गया। ऐसे समय में जब पुलिस बार-बार कह रही है कि स्थिति कंट्रोल में है, इसके बावजूद दंगाई मासूमों की जान ले रहे हैं। अयूब(45) शुक्रवार की सुबह रोज की तरह कूड़ा बीनने के लिए निकले थे। तभी कुछ लोगों ने उन्हें पकड़कर इतना पीटा कि उनकी मौत हो गई...'
'देश की राजधानी दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा से जूझ रही है. 40 के क़रीब लोगों की मौत हो चुकी है. सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. क़रीब 600 से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हिंसा के इर्द-गिर्द राजनीति भी चरम पर है. हर ख़ेमे के लोग अपने-अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने की फ़िराक़ में हैं. इस चक्कर में कितने ही लोगों ने ग़लत ख़बरें, भ्रामक जानकारियां फैलाईं. कितने ही मेसेज, तस्वीरें, वीडियो वगैरह सोशल मीडिया पर फैल रहे हैं. ऑल्ट न्यूज़ लगातार इन मेसेजेज़, तस्वीरों, वीडियोज़ की पड़ताल कर रहा है और इनकी सच्चाई आप तक ला रहा है...'
'दिल्ली मेट्रो के भीतर और राजीव चौक स्टेशन पर देश के गद्दारों को गोली मारने के नारे लगने का मामला सामने आया है. पीटीआई के मुताबिक इस सिलसिले में छह लोगों को हिरासत में लिया गया है... इस तरह के नारे दिल्ली चुनावों के दौरान भी लगे थे. ये भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने एक चुनावी सभा में लगवाए थे. इसके बाद चुनाव आयोग ने उनके चुनाव प्रचार करने पर कुछ समय तक रोक लगा दी थी. इस तरह के भड़काऊ नारों को दिल्ली में हुई हालिया हिंसा के भड़कने के लिए भी जिम्मेदार माना जा रहा है जिसमें अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है...'
'दिल्ली सरकार ने राजद्रोह के एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और दो अन्य लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी. सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने 2016 के इस मामले में कुमार के साथ ही जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने नौ फरवरी, 2016 को जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान जुलूस निकाला और वहां कथित रूप से लगाये गये देश-विरोधी नारों का समर्थन किया था...'
'उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के लिए आम आदमी पार्टी के नेता ताहिर हुसैन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इसके बाद आम आदमी पार्टी ने उनकी सदस्यता निलंबित कर दी है. ताहिर हुसैन दिल्ली के नेहरू विहार इलाके से पार्षद हैं... अंकित शर्मा का शव एक नाले से बरामद हुआ था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत धारदार हथियार से लगी चोटों के चलते हुई. उनके पिता रविंदर शर्मा ने इस हत्या का आरोप ताहिर हुसैन पर लगाया है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे को गोली भी मारी गई. उधर, ताहिर हुसैन ने इस आरोप का खंडन किया है.
'दिल्ली हाईकोर्ट में दंगों के मामले मामले की बुधवार और गुरुवार की कार्यवाहियों के अंतर ने स्पष्ट कर दिया है कि कैसे अदालत में बेंच की संरचना किसी मामले के नतीजे को प्रभावित कर सकती है, दो अलग-अलग दृष्टिकोणों को भी जन्म दे सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट ने भड़काऊ या नफरत फैलाने वाले भाषणों (हेट स्पीच) के खिलाफ की गई कार्रवाई पर जानकारी देने के लिए गुरुवार को केंद्र सरकार को एक महीने समय दिया है। आरोपों में कहा जा रहा है कि इन्हीं भाषणों की वजह से दिल्ली में हिंसा भड़की है। हिंसा में कम से कम 35 लोगों की मौत होने और 200 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है। एक दिन पहले, न्यायमूर्ति एस मुरलीधर