'कोरोना वायरस जीवन के संकट के साथ-साथ आर्थिक संकट भी लेकर आया है। बड़े उद्योगपति इस संकट को झेल लेंगे लेकिन छोटे-छोटे कामगार, रोज़ कमाने-खाने वालों के लिए हर दिन मुश्किल है। उत्तराखंड में पर्यटन पर इसका सीधा असर पड़ा है। यहां आने वाले पर्यटक स्थानीय लोगों के आजीविका के साधन हैं। पर्यटकों की आवाजाही से जिनकी आर्थिकी जुड़ी होती है। राज्य के स्कूल-कॉलेज बंद होने से उसके ईर्दगिर्द खाने-पीने की चीजें बेचकर गुज़ारा करने वालों की बिक्री कम हो गई है तो ऑटो, रिक्शा, स्कूल वैन ड्राइवर भी इस मंदी के शिकार हो गए हैं...'
'एक साधारण सवाल के जवाब से यस बैंक के चरमराने में छिपे घोटाले की परतें अपने आप खुल जाएंगीं. सवाल है कि आखिर कैसे यस बैंक द्वारा दिए गए कुल कर्जे में मार्च, 2017 से 31 मार्च 2019 के बीच 80 फीसदी की बढ़ोतरी हो गयी, जबकि अर्थव्यवस्था धराशायी थी, कर्ज की मांग असाधारण रूप से निचले स्तर पर थी और निजी निवेश के पटरी पर लौटने का कहीं कोई संकेत नहीं था. यस बैंक द्वारा दिया गया कुल कर्ज वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2019 के बीच 1,32,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,41,000 करोड़ रुपये हो गया.
'सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके तहत इच्छुक खरीदारों से बोलियां मंगाई गई हैं. दो मई इनकी आखिरी तारीख है. डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) ने निविदा दस्तावेज में कहा है कि भारत सरकार बीपीसीएल में अपने 114.91 करोड़ इक्विटी शेयरों की रणनीतिक बिक्री का प्रस्ताव रखती है. यह बीपीसीएल के कुल शेयरों का 52.98 फीसद है...'
'सभी के लिए स्वास्थ्य और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति अंतर्राष्ट्रीय वचनबद्धता के बावजूद स्वास्थ्य का क्षेत्र अब सेवा के बजाय पूरी तरह से उद्योग में बदल चुका है। भारत में बिना मानक वाली दवाएं, आम लोगों की पहुंच से बाहर होती दवाएं, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की लचर व्यवस्था, निजीकरण को बढ़ावा, बाजार का दायरा बढ़ते जाना जैसे मुद्दे चुनौतियों के रूप में सामने हैं। ऐसी स्थिति में प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिए नीतिगत बदलाव के लिए दबाव बनाने, समुदाय को जागरूक करने और जन स्वास्थ्य अभियान की प्रक्रियाओं को तेज करने की जरूरत है। ये बातें भोपाल में आयोजित डॉ.
'भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे यस बैंक से निकासी की सीमा 50 हजार रु तय कर दी है. फिलहाल यह रोक तीन अप्रैल तक लगी रहेगी. रिजर्व बैंक ने यस बैंक के निदेशक मंडल को भी भंग कर दिया है. बैंक के कारोबार पर कई अन्य पाबंदियां भी लगा दी गई हैं... ताजा फैसला यस बैंक की लगातार बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर लिया गया है. बैंक का कामकाज अब रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त किए गए प्रशासक के हाथ में रहेगा. भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार यह जिम्मा संभालेंगे...'
'अक्टूबर 2019 के बाद देश की बेरोजगारी दर फरवरी 2020 में सबसे अधिक रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (सीएमआईई) के सोमवार को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आयी है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी में बेरोजगारी दर 7.78 प्रतिशत रही, जो जनवरी में 7.16 थी. अक्टूबर 2019 के बाद से यह सर्वाधिक है. सीएमआईई के अनुसार यह अर्थव्यवस्था की मंदी का असर है...'
'राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के अध्यक्ष बिमल कुमार रॉय ने करीब एक महीने पहले कहा था कि चार दशकों में पहली बार उपभोक्ता खर्च में आई कमी दिखाने वाली आधिकारिक सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी लेकिन अब स्वायत्त संस्था ने रिपोर्ट न जारी करने का फैसला किया है. बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, रॉय ने कहा, ‘मैं कोशिश की. (15 जनवरी की एनएससी बैठक में) सर्वे को जारी करने के लिए मैंने एक प्रस्ताव दिया लेकिन मुझे कोई समर्थन नहीं मिला. मैंने अध्यक्ष के रूप में प्रस्ताव रखा था, लेकिन यह नहीं हुआ.
'दुनिया भर मंदी की चर्चाओं के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का चौंकाने वाला बयान आया है। उत्तर प्रदेश के बलिया से सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा है कि अगर वाकई मंदी होती तो लोग कोट पैंट की जगह धोती-कुर्ता पहनने लगते...'
'केंद्र सरकार ने खाद्य सब्सिडी के बजट में पिछले साल के मुकाबले करीब 70,000 करोड़ रुपये की कटौती की है. वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र की सुरक्षा का बजट बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है. बीते शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 115569.68 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. जबकि पिछले बजट में इसी योजना के लिए 184220 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. इतना ही नहीं, सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट को भी कम करके 108688.35 करोड़ रुपये कर दिया है.
'...हक़ीक़त तो यह है कि भारत में आर्थिक-असामनता का बढ़ना निरंतर जारी है। एक अर्थ में यह कह सकते हैं कि कुल संपदा में शीर्ष के 1% लोगों की स्थिति पूरी तरह से असंदिग्ध है, जैसा कि तथ्यों से जाहिर है कि बढ़ते आर्थिक-असमानता के मामले में ज़्यादातर विकसित और "नए उभरते" देशों के समूह से संबंधित देशों की तुलना में यहाँ पर यह ऊँचे स्तर पर बना हुआ है। वास्तविकता में इन विकसित और "नए उभरते" देशों के समूह में यदि पुतिन के रूस और बोल्सोनारो के ब्राज़ील को छोड़ दें तो, जिनके शीर्ष के 1% लोगों की धन सम्पदा का आबादी के बाकी हिस्सों से 2019 में भारत के 1% धनाड्य वर्ग से कहीं अधिक है, वर्ना बाकी के देशों की तुलन