'...जो हिंदुस्तान का मीडिया इस वक़्त है उसे देखते हुए कोई भी यह अब समझ सकता है कि इसमें भाशा का कोई फ़र्क नहीं रहा. पहले की टीवी चैनल की दुनिया से आता हूँ. किसी भी चैनल को आप देखें - चाहे वो हिंदी का चैनल हो चाहे वो अंग्रेज़ी का चैनल हो - तो भाषा का फ़र्क मिट गया है, क्लास का फ़र्क मिट गया, कन्टैंट का फ़र्क मिट गया, क्राफ़्ट का फ़र्क मिट गया है, और ड्राफ़्ट का फ़र्क मिट गया है. एक ही ड्राफ़्ट आता है, उसी ड्राफ़्ट को लेकर सबको अपनी-अपनी भाषाओं में बोलना होता है. इसको हम सरल शब्दों में प्रोपेगांडा कहते हैं.
'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर दावा किया कि उनके दो साल के शासन में कोई दंगा नहीं हुआ है. हालांकि सरकारी रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ साल 2017 में ही उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 195 घटनाएं हुई हैं. इस दौरान 44 लोगों की मौत हो गई और 542 लोग घायल हुए...'
'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गाली-गलौज करने वाले ट्विटर हैंडल्स को फॉलो करने पर कई बार सवाल उठाए गए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता... ‘मीडिया, सेकुलर और लिबरल धौंस के सामने झुक गए? हम बिना किसी स्वार्थ के बिना थके आपके लिए काम करते हैं. ये उसका इनाम है,’ ये ट्वीट @RitaG74 का है, जिन्होंने ट्विटर पर खुद को ‘blessed to be followed by Modi’ (मोदी द्वारा फॉलो किए जाने से गौरवान्वित) लिखा है.
'टाइम्स ऑफ इंडिया के आगरा संस्करण ने पिछले दिनों जैसे ही यह रिपोर्ट छापी कि प्रचार के आईटी प्लेटफॉर्मों पर मोदी जी और उनकी सरकार के लिए 2014 जैसा ही चकाचौंध पैदा की जाएगी वैसे ही एक युवक ने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड कर भाजपा के आईटी सेल की बखिया उधेड़ दी। भाजपा आईटी सेल का भांडा फोड़ने वाले इस वीडियो को अब तक 45,000 लोग देख चुके हैं। वीडियो ने मोदी और उनकी सरकार के झूठे प्रचार की तिकड़मों का ऐसा पर्दाफाश किया है कि सच रेशा-रेशा होकर लोगों के सामने आ गया है...'
'आज मैं भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया आईटी सेल को एक्स्पोस करूँगा कि कैसे वह पेड़ और झूटी खबरों से अपना प्रोपेगंडा फैलाता है. किसी भी पार्टी का आईटी सेल उस पार्टी की मारकिटिंग और एड़वर्टाईसिंग कैम्पेन के लिए यूज़ होता है. उस पार्टी के अचीवमेंट्स और ओपोजिशन पार्टीस का क्रिटिसिज़म करने के लिए सोशल मीडिया द्वारा लोगों को चीज़ें पहुँचाई जाती हैं. लेकिन बीजेपी आईटी सेल कि खास बात क्या है कि यह आधी से ज़्यादा झूठी खबरें फैलाती है. इनकी अचीवमेंट्स फोटोशोप्स और फ़ेक न्यूज़ होती हैं. और दूसरी पार्टीस की बदनामी करने के लिए दोक्टर्ड वीडियोज़, पेड़ ट्विटर त्रेड़्स , और पेड़ न्यूज़ का इस्तेमाल करते हैं.
"कर्नाटक बीजेपी के सीनियर बीजेपी नेता सीटी रवि दंगों से निपटने के लिए सहारनपुर समेत पूरे भारत में 'गुजरात मॉडल' लागू करने के ट्वीट को लेकर विवाद में घिर गए हैं। ट्वीट पर बवाल के बाद भी रवि अपने बयान पर कायम हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि उनके ट्वीट में कुछ भी गलत नहीं है। सीटी रवि बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वह पार्टी की कर्नाटक यूनिट के महासचिव भी हैं...
"अमेरिका के एक एनआरआई के खिलाफ कथित रूप से गोवा के लोक निर्माण मंत्री सुदिन धावलिकर की छेड़छाड़ की गई फोटो को सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर पोस्ट करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. धावलिकर हाल में उस समय विवादों में आए थे, जब उन्होंने कहा था कि गोवा के तटों पर बिकीनी पहनने पर रोक लगा देनी चाहिए। बाद में गोवा के सीएम मनोहर पार्रिकर ने राज्य के तटों पर स्विम सूट पहनने पर रोक लगाने वाली बात से इनकार किया था..."
"तमिलनाडु पुलिस ने 21 साल के एक युवक मोहम्मद असलम को फेसबुक पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विरोधी पोस्ट लिखने के आरोप में गिरफ्तार किया है। द हिंदू अखबार की खबर के अनुसार असलम ने फेसबुक पर लिखा था कि उनके जिले में संघ की गतिविधियां बढ़ रही हैं और इनमें मुस्लिम महिलाओं का धर्म परिवर्तन भी शामिल है..."
"...उस दिन को याद कर स्थानीय निवासी मोहसिन पहले तो खामोश रहें. यहाँ की बाक़ी आँखों की तरह ही उनकी आँखें भी डरी हुईं थी. काफी देर सोचकर वे बोले, “एक्सिडेंट तो अक्सर ही होते रहते हैं. वो भी महज़ एक एक्सीडेंट ही था. एक मौत के बाद लोगों ने ड्राईवर व उसके सहयोगी को जमकर पीटा. हमें उस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अचानक उन्होंने अपना यह गुस्सा सड़क चलते लोगों पर निकालना शुरू कर दिया. जानबुझ कर एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया. और फिर शहर में मोबाईल, फेसबुक व व्हाटसप के ज़रिए अफवाह फैलाया गया कि मुसलमानों ने दो हिन्दू लड़कों को मार दिया है, अब तो अपने घरों से निकलो.
"भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि सोशल मीडिया न होता तो शायद नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री न होते। यह सच है। दो हजार दस तक जिस तरह से मुख्यधारा की मीडिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का अघोषित बहिष्कार कर रखा था उसे देखकर लगता नहीं था कि वह कभी मोदी का गुणगान करेगी, लेकिन सोशल मीडिया पर पापुलर मोदी की तस्वीर ने मुख्यधारा की मीडिया को भी मजबूर कर दिया कि वो मोदी की तरफ नयी निगाह से देखे। लेकिन अब वही नरेन्द्र मोदी केन्द्र में प्रधानमंत्री हैं तो उनका गृहमंत्रालय सोशल मीडिया पर निगाह रखने की लिए तैयार हो गई है..."