"...उस दिन को याद कर स्थानीय निवासी मोहसिन पहले तो खामोश रहें. यहाँ की बाक़ी आँखों की तरह ही उनकी आँखें भी डरी हुईं थी. काफी देर सोचकर वे बोले, “एक्सिडेंट तो अक्सर ही होते रहते हैं. वो भी महज़ एक एक्सीडेंट ही था. एक मौत के बाद लोगों ने ड्राईवर व उसके सहयोगी को जमकर पीटा. हमें उस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अचानक उन्होंने अपना यह गुस्सा सड़क चलते लोगों पर निकालना शुरू कर दिया. जानबुझ कर एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया. और फिर शहर में मोबाईल, फेसबुक व व्हाटसप के ज़रिए अफवाह फैलाया गया कि मुसलमानों ने दो हिन्दू लड़कों को मार दिया है, अब तो अपने घरों से निकलो.