"कॉरपोरेट मीडिया की दुनिया में इससे बड़ा विस्फोट अब तक नहीं हुआ था। देश का सबसे बड़े मीडिया समूह (नेटवर्क-18) को देश के सबसे बड़े उद्योगपति ने सबसे बड़ी बोली लगाकर खरीद लिया। गुरुवार को यह खबर आई कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के बोर्ड ने समूह से जुड़ी इंडिपेन्डेन्ट मीडिया ट्रस्ट को चार हजार करोड़ रूपया खर्च करने की अनुमति प्रदान कर दी जिसका इस्तेमाल नेटवर्क-18 खरीदने के लिए किया जाएगा। बोर्ड की मंजूरी के साथ ही शुरूआत हो गई और नेटवर्क-18 के संस्थापक राघव बहल ने समूह से जुड़े सभी कर्मचारियों को एक ईमेल लिखकर शुभकामना प्रेषित किया है..."
"16वीं लोकसभा के चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के कॉरपोरेट प्रेम को स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। द नीलसन/इकोनॉमिक्स टाइम्स समाचारपत्र की ओर से किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 100 उद्योगपतियों में से 74% उद्योगपति नरेन्द्र मोदी को अगले पीएम के रूप में देखना चाहते हैं। देश-विदेश की सारी कॉर्पोरेट शक्तियां लम्बे समय से पीएम पद के लिए नमो नमो का जाप करते नहीं थक रही हैं..."
"लगता है इस वर्ष के मध्य में होने जा रहे लोकसभा चुनाव ऐसे कई परिवर्तनों की शुरुआत करने वाले हैं जिनसे भारतीय लोकतंत्र का चेहरा निर्णायक रूप से बदल जाएगा. यह पहले से ही सांप्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रीयता के संकट में चल रहे भारतीय लोकतंत्र के संकट को घटाने की जगह और बढ़ा देगा... इस पद्धति की विशेषता यह है कि इसमें प्रचार की जबर्दस्त भूमिका रहती है और उसके लिए पैसा जरूरी होता है. कहने की जरूरत नहीं कि यह पैसा पूंजीपतियों के द्वारा दिया जाता है. राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने की वैधता के चलते कुछ छिपा भी नहीं रहता.