'अमीरों की लिस्ट की घोषणा औद्योगिक जगत और मीडिया में इनके पिट्ठुओं को पीठ थपथपाने और जीत के खुल्लम-खुल्ला प्रदर्शन का इशारा होता है। इसे ऐसे देखा जाता है जैसे भारत शानदार प्रदर्शन कर रहा है और अच्छे दिन आ चुके हैं, हालांकि ऐसी लिस्ट में देश के 130 करोड़ लोगो में से महज 100 (जैसा फोर्ब्स इंडिया की लिस्ट में) लोग या थोड़े ज्यादा (IIFL ह्यूरन लिस्ट में) ही होते है। व्यक्तिगत बात करने से पहले बता दें कि 2014 से 2019 के बीच 100 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 32 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुकी है। यह 31 फीसदी का उछाल है। इन 100 लोगों के पास जीडीपी के 6 फीसदी के बराबर संपत्ति है
'केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिन थर्मल पावर प्लांट की सात इकाइयों के प्रदूषण स्तर की निगरानी की थी, उनमें से पांच निर्धारित मानकों का पालन कर रही थीं. अडानी पावर की दो इकाइयां इन मानकों पर खरी नहीं पाई गईं. 17 मई को पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण बोर्ड की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए थर्मल पावर प्लांट के वायु प्रदूषण मानक को हल्का करने की सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी...'
'बस्तर पुलिस ने दावा किया कि बीते 15 सितम्बर को गुमियापाल गाँव में मुठभेड़ के दौरान दो माओवादी मारने का दावा किया था. सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक जाँचदल ने गाँव का दौरा किया और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर पुलिस के दावे को ख़ारिज किया. तथ्य ये भी सामने आया कि मारे गए दोनों ग्रामीण बैलाडीला पहाड़ी पर अडानी के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से शामिल थे. फ़र्ज़ी मुठभेड़ का ख़ुलासा करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता सोनी सोरी और बेला भाटिया समेत दो आदिवासी सरपंचों पर पुलिस ने शांति भंग करने के आरोप में FIR दर्ज की है...'
'सरकार ने भी अब लगभग मान लिया है कि अर्थव्यवस्था का संकट बड़ा है। यही वजह है कि सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के नाम पर चौथी बार कॉरपोरेट को राहत दी गई है। सरकार ने शुक्रवार को कई बड़ी घोषणाएं की। इन घोषणाओं में कंपनियों के लिये आयकर की दर करीब 10 प्रतिशत घटाकर 25.17 प्रतिशत करना तथा नयी विनिर्माण कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर घटाकर 17.01 प्रतिशत करना शामिल है। सरकार ने ये कदम ऐसे समय उठाये हैं जब चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर आ गयी है। इन घोषणाओं से निवेश को प्रोत्साहन मिलने तथा रोजगार सृजन को गति मिलने का दावा
'प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक ने न्यूज़़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के साथ एक साक्षात्कार में गुजरात तथा केरल के विकास मॉडल पर चर्चा किया। उन्होंने वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था में आवश्यक सेवाओं के निजीकरण को सबसे अधिक संकट पैदा करने वाला कारक बताया...'
'देश के ग़रीब प्रधानमंत्री ने चुनावी ख़र्चे का इतिहास ही बदल दिया है, इसलिए कॉरपोरेट को भी ज्यादा चंदा देना होगा. कॉरपोरेट नहीं बताना चाहते हैं कि वे किसे और कितना चंदा दे रहे हैं. उनकी सुविधा के लिए प्रधानमंत्री ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने का चतुर क़ानून बनाया और बड़ी आसानी से जनता को बेच दिया कि चुनावी प्रक्रिया को क्लीन किया जा रहा है...'
'2011 से 2017 के बीच नीरव मोदी को 150 लेटर ऑफ अंडरटेकिंग दिए गए. जिनसे 11,000 करोड़ रुपए का घपला कर दिया गया. बिना पैसा चुकाए इन्हें एलओयू कैसे मिलता रहा?... 13 जनवरी, 2016 को पीटीआई की ख़बर कई अखबारों में छपी है कि अरुण जेटली 100 उद्योगपतियों को लेकर दावोस जा रहे हैं. यह ख़बर फाइनेंशियल एक्सप्रेस में भी छपी है. आप ख़ुद भी देख सकते हैं कि उसमें नीरव मोदी का नाम है. किसी भी बिजनेस अख़बार की ख़बर देखिए, उसमें यही लिखा होता है कि प्रधानमंत्री मोदी इन बिजनेसमैन की टोली का नेतृत्व कर रहे हैं. ज़ाहिर है उन्हें पता था कि भारत से कौन-कौन दावोस जा रहा है.
'पिछले कई बरसों से हम गुजरात मॉडल , इसके झूठ और अधूरे सच से जुड़ी कहानियां सुन-सुन कर थक चुके हैं। यह बात याद रखना जरूरी है राज्य में 2002 के जघन्य मुस्लिम नरसंहार के दाग मिटाने के लिए 2007 के बाद इस मॉडल की बिक्री और और मार्केटिंग शुरू हुई। ऐसा नहीं है कि दूसरी सरकारों और राजनीतिक पार्टियों के दौर में सरकार में बैठे बड़े लोग और सत्ता के केंद्र रहे संस्थान अल्पसंख्यक विरोधी पूर्वाग्रह से अछूते थे। 1969 में अहमदाबाद , 1970 और 1984 में बांबे-भिवंडी , 1983 में नेली, 1987 में हाशिमपुरा और 1989 में भागलपुर के बर्बर दंगों के दौरान राजनीतिक संस्थानों के पूर्वाग्रह दिख चुके हैं। लेकिन 2002 म
"उस दिन मध्यप्रदेश के मैहर स्थित एक सीमेंट फैक्ट्री में रोज की तरह मजदूर काम कर रहे थे। दोपहर करीब दो बजे साइलो के अंदर अचानक सीमेंट वॉल्ब खुल गया,जिससे बड़े पैमाने पर सीमेंट नीचे आ गई। सीमेंट के नीचे बड़ी संख्या में मजदूर दब गए, हादसे में दर्जन भर मजदूर घायल हो गये, चार मजदूरों की हालत गंभीर बताई गयी, हादसे के बाद घायलों को तत्काल मैहर अस्पातल पहुंचाया गया लेकिन इस घटना की सूचना थाना को नहीं दी गई। इस पूरे मामले में कंपनी की लापरवाही साफ तौर पर सामने आई है। साइलो के अंदर सीमेंट वॉल्ब खुलना गंभीर मामला है। दूसरी तरफ नियमों के अनुसार किसी भी बड़ी कंपनी में एक डॉक्टर 24 घंटे उपलब्ध होना चाहि
"क्या नरेंद्र मोदी सरकार रिलायंस इंडस्ट्रीज को केजी बेसिन विवाद मामले में उस पर लगाई गई पेनाल्टी से राहत दिलाने की कोशिश कर रही है? पिछले कुछ दिनों के दौरान इस संबंध में जो घटनाक्रम सामने आए हैं, वह इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस मंत्रालय और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज पर लगाई गई अतिरिक्त 1.7 अरब डॉलर की पेनाल्टी को लेकर गंभीर मतभेद हैं। सीएजी राष्ट्रपति को सौंपी अपनी अंतिम रिपोर्ट पर अड़ा है। उसका कहना है कि रिलायंस पर लगाई गई पेनाल्टी जायज है।..."