'इन झुग्गियों में रहने वाले एक 35 वर्षीय महिला रेखा बताती हैं कि यहां महिपालपुर का कूड़ा-कबाड़ उठाने वाले करीब 100 परिवार रहते हैं। यहां पानी की एक बूंद भी नहीं बची है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन दिनों से उनका बेटा और भतीजा एक निजी स्वामित्व वाले बोरवेल तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पुलिस के भारी दबाव के कारण वह वहां तक नहीं पहुंच पा रहे। ‘द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत’ में रेखा ने कहा कि मेरे बेटे ने कुछ दिन पहले पानी लाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने बीच में ही भगा दिया, उसे लाठियों से मारा और उसे घर वापस जाने के लिए कहा। उन्होंने एक दिन पहले मेरे भतीजे के साथ भी ऐसा ही क