'जानकारों का कहना है कि आरबीआई पूरी सच्चाई पहले से जानती थी और वह इसे बता नहीं रही थी। और यह भी सच है कि सबसे अधिक लोन भाजपा के समय में दिए गए हैं। हमेशा पिछले शासन को दोष नहीं दे सकते हैं... इस खबर के बाद अब बात करते हैं कि यस बैंक की स्थिति इतनी बदतर हुई कैसे ? इस पर सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड के रजिस्टर्ड रिसर्चर हेमेंद्र हजारी 15 मई 2017 के अपने ब्लॉग में लिखते हैं कि साल 2017 के वित्तीय वर्ष में यस बैंक ने अपने बैलेंस शीट में दिखाया कि उसका एनपीए तकरीबन 7.5 बिलियन है। आसान भाषा में समझे तो यह कि बैंक ने तकरीबन 7.5 बिलयन का कर्ज बाजार में बाँट दिया था और यह कर्ज वापस बैंक में लौटकर नहीं आया। यह बैंक के बैलेंस शीट की कहानी थी। जबकि आरबीआई के रिपोर्ट से यस बैंक की असलियत यह थी कि बैंक का एनपीए तकरीबन 49.3 बिलियन था। यानी बैंक ने अपने बैलेंस शीट में असलियत से तकरीबन पांच गुना कम एनपीए दिखाया था...'