'तीन दिनों तक उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंदुत्ववादी नेताओं द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोधियों पर हमला करने और उन्हें डराने के लिए इकट्ठा किए गए हथियारबंद गुंडों के कब्जे में रही. इन गिरोहों और इनके नेताओं का चरित्र ऐसा था कि इस हिंसा ने जल्दी ही किसी ‘राजनीतिक मकसद’ का दिखावा भी त्याग दिया और यह मुसलमानों के खिलाफ एक नंगे सांप्रदायिक बलवे में तब्दील हो गयी. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार- जिसके जिम्मे राष्ट्रीय राजधानी की कानून और व्यवस्था है- की नाक के नीचे मची अंधेरगर्दी और अराजकता में एक पुलिसकर्मी सहित 35 से अधिक लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग जख्मी हुए हैं...'