'पिछले महीने हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के दौरान दंगा कराने और हत्या के प्रयास के दो आरोपियों को जमानत देते हुए उत्तर प्रदेश के बिजनौर के एक सत्र अदालत ने पुलिस के दावों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा कोई सबूत नहीं दिखाया जिससे पता चले कि आरोपी गोलीबारी या आगजनी में लिप्त थे या पुलिस ने आरोपियों से कोई हथियार जब्त किया हो या कोई पुलिसकर्मी गोली से घायल हुआ हो. बता दें कि, सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान बिजनौर उत्तर प्रदेश में सबसे बुरी तरह से प्रभावित जिलों में से एक था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उसे अदालत से मिले दस्तावेज दिखाते हैं कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव पांडे 24 जनवरी के जमानत आदेश में पुलिस ने जो दावे किए थे उनमें गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है.’...'