'...हक़ीक़त तो यह है कि भारत में आर्थिक-असामनता का बढ़ना निरंतर जारी है। एक अर्थ में यह कह सकते हैं कि कुल संपदा में शीर्ष के 1% लोगों की स्थिति पूरी तरह से असंदिग्ध है, जैसा कि तथ्यों से जाहिर है कि बढ़ते आर्थिक-असमानता के मामले में ज़्यादातर विकसित और "नए उभरते" देशों के समूह से संबंधित देशों की तुलना में यहाँ पर यह ऊँचे स्तर पर बना हुआ है। वास्तविकता में इन विकसित और "नए उभरते" देशों के समूह में यदि पुतिन के रूस और बोल्सोनारो के ब्राज़ील को छोड़ दें तो, जिनके शीर्ष के 1% लोगों की धन सम्पदा का आबादी के बाकी हिस्सों से 2019 में भारत के 1% धनाड्य वर्ग से कहीं अधिक है, वर्ना बाकी के देशों की तुलना में भारत सर्वाधिक आर्थिक तौर पर ग़ैर-बराबरी वाले देशों में से एक है। 2019 के लिए क्रेडिट सुइस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल संपदा का (45%) हिस्सा शीर्ष के 1% लोगों के हाथ में था, जो कि जापान के 1% के हाथ में यह (18%), इटली और फ़्रांस के (22%), यूनाइटेड किंगडम के (29%), चीन और जर्मनी के (30%) और अमेरिका के (35%) की तुलना में काफी अधिक था...'