'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी मद्रास) में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जर्मनी के एक छात्र का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध में हुए प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद उन्हें तुरंत भारत से जाने को कहा गया था. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आईआईटी मद्रास में फिजिक्स की पढ़ाई कर रहे जर्मनी के छात्र जैकब लिंडेनथल सोमवार रात को एम्सटर्डम लौट गए. लिंडेनथल ने कहा कि उन्हें चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) से भारत से जाने के मौखिक निर्देश मिले थे. सीएएए के खिलाफ पिछले हफ्ते हुए प्रदर्शन में शामिल होने के चलते आव्रजन (इमिग्रेशन) विभाग से उन्हें चेतावनी मिली थी. लिंडेनथल बीते दिनों बेंगलुरू में एक स्पोर्ट्स टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे थे, जब उन्हें इस संबंध में एफआआरओ से पहले ईमेल मिला. चेन्नई में सीएए और एनआरसी के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान लिंडेनथल ने हाथ में एक पोस्टर ले रखा था, जिसमें लिखा था, ‘1933 से 1945 तक हमारे साथ यह हो चुका है’, जो जर्मनी में नाजी शासन की ओर संकेत है...'