'संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम पर विविध प्रतिक्रयाएं सामने आईं हैं, जिनमें से कई नकारात्मक हैं. एक ओर जहाँ उत्तरपूर्व में इस नए कानून का भारी विरोध हो रहा है, जिसमें कई लोगों की जानें जा चुकीं है, वहीं इससे संविधान में आस्था रखने वालों और मुसलमानों में गंभीर चिंता व्याप्त हो गयी है. यह कानून पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के ऐसे हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध, जैन और ईसाई रहवासियों को भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार देता है, जिन्हें उनके देशों में प्रताड़ित किया जा रहा है. इस सूची में इस्लाम धर्म का पालन करने वालों का नाम नहीं है. म्यांमार जैसे देशों में मुसलमानों पर भीषण अत्याचार हो रहे हैं परन्तु वे इस सूची में शामिल नहीं है. इस कानून में जिन तीन देशों का उल्लेख किया गया है, वहां भी मुसलमानों के कई पंथों के सदस्यों को प्रताड़ित किया जा रहा है परन्तु उनके लिए इस कानून में कोई स्थान नहीं है...'