'1 नवंबर को भारतीय सीमा शुल्क अधिकारियों की जांच शाखा, राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कई कंपनियों द्वारा आयात में कथित मूल्य से अधिक का बिल बनाने (ओवर-इनवॉइसिंग) के बारे में अपनी जांच की स्थिति को स्पष्ट किया गया।इस आयात में- कोयले जैसी कैपिटल गुड्स और कच्चे माल की एक श्रृंखला शामिल थी, जिसे देश के बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों जैसे बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन, बंदरगाह और उर्वरक के क्षेत्र कार्यरत कंपनियों द्वारा किया गया था और वे पिछले छह वर्षों से डीआरआई के राडार पर थे। निदेशालय ने दावा किया है कि आयात की लागत को जानबूझकर और कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया और उसके बाद उसे उच्च शुल्क और उपभोक्ता शुल्क के रूप में जनता से वसूला गया। आगे आरोप लगाते हुए डीआरआई ने स्पष्ट किया है कि इस तरह से अर्जित अनुचित लाभ के एक हिस्से को विदेशी टैक्स हैवन जैसी जगहों पर छिपा दिया गया है...'