'यूरोपीय संसद के 20 धुर दक्षिणपंथी सदस्यों को कश्मीर की ‘प्राइवेट यात्रा’ के लिए तैयार करने का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का गैरजिम्मेदाराना फैसला अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारने के समान है. यह न सिर्फ भारत और भारतीय लोकतंत्र की खराब तस्वीर पेश करता है, बल्कि आखिरकार नए दोस्त बनाने की जगह ज्यादा दुश्मन पैदा करनेवाला है. एक प्रोपगेंडा के तौर पर इस हफ्ते करवाया गया यह दौरा आला दर्जे की मूर्खता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अगर सैर-सपाटे की पूरी कसरत को सफल भी माना जाए और यूरोपीय संसद के सदस्य अगर कश्मीर पर मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ भी कर दें- जैसा कि श्रीनगर में एक बनावटी ‘प्रेस कॉन्फ्रेंस (जिसमें कश्मीरी पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया गया था) में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों द्वारा शायद किया भी किया भी गया- तो भी इस पूरी कवायद से निकलने वाला संदेश अतुल्य भारत के खुशनुमा अभियान से मेल नहीं खाता है...'