'फ़ुरक़ान अली और उनके स्कूली बच्चों के आचरण और उनके अनुभवों से ढेर सारे सबक लिए जा सकते हैं। धार्मिक समुदायों के बीच रोज़मर्रा की एकजुटता को और विकसित करने से अधिक शायद ही कोई और महत्वपूर्ण चीज होगी जो संघ परिवार की नफ़रत की राजनीति का मुक़ाबला कर सके, जो लगातार कोशिश में लगा रहता है कि किस प्रकार से मुसलमानों को राष्ट्र-विरोधी के रूप में सीमित किया जाए और उन्हें अलग-थलग किया जाए। जिन्हें इस कहानी का देर से पता चल रहा है, उनके लिए यहाँ एक पुनर्कथन है: फ़ुरक़ान अली उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले के बिलासपुर ब्लॉक में, घयासपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर थे, जब तक कि उन्हें पिछले सप्ताह निलंबित नहीं किया गया था। उनके निलंबन का आदेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बद्ध विश्व हिंदू परिषद के इस दावे के बाद जारी किया गया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि घ्यासपुर प्राथमिक विद्यालय की प्रातःकालीन प्रार्थनासभा में बच्चों से एक धार्मिक प्रार्थना भी गवाई जाती है। जबकि हक़ीक़त में, अली ने स्कूली बच्चों से मुहम्मद इक़बाल की कविता लब पे आती है दुआ गवाई थी, जो हम सबके बीच अल्लामा इक़बाल के नाम से मशहूर हैं, और जिनकी कलम से सारे जहाँ से अच्छा जैसी मशहूर रचना रची गई है। किसी भी लिहाज़ से इस कविता को धार्मिक प्रार्थना नहीं कहा जा सकता।...'