'मीडिया पर प्रतिबंधों के पक्ष में खड़ा होने के बाद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने बदला अपना सुर... केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को खत्म किए जाने के बाद से वहां सूचना के तमाम माध्यमों पर रोक लगी हुई है. इसका असर वहां से निकलने वाले तमाम अख़बारों पर भी पड़ा है. 5 अगस्त के बाद से घाटी के कई अख़बारों का प्रकाशन बंद है. घाटी में सूचना माध्यमों को दोबारा से शुरू करवाने को लेकर ‘कश्मीर टाइम्स’ की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इसी बीच प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया, जो कि देश में अख़बारों के दायित्व और अधिकारों की आज़ादी को संरक्षण देने वाली शीर्ष संस्था है, ने सुप्रीम कोर्ट में एक मध्यस्थ याचिका दायर कर मीडिया पर जारी प्रतिबंधों को जायज ठहराया और भसीन की याचिका पर प्रश्न खड़ा किया. प्रेस काउंसिल के इस रवैये से मीडिया संगठनों और एडिटर्स गिल्ड में खलबली मच गई. काउंसिल की चौतरफा आलोचना होने लगी...'