"नरेंद्र मोदी और उनकी पिछलग्गू मीडिया ही नहीं, बल्कि इनके प्रभाव में सवर्ण मध्यवर्ग का एक बड़ा हिस्सा अक्सर यह कहता नजर आता है कि जो मॉडल गुजरात में विकास के लिए अपनाया गया, वह पूरे देश में अपनाया जाना चाहिए। हालांकि न खुद मोदी, न मीडिया और न ही उनके समर्थक कभी यह बताते हैं कि आखिर यह मॉडल है क्या और किस तरह से बाकी देश में अपनाई जा रही नीतियों से जुदा है। मोटे तौर पर उनका दावा होता है कि इससे विकास की गति बढ़ गई है, विदेशी निवेश में तेजी आई है, मूलभूत सुविधाएं सर्वसुलभ हो गई हैं और गरीबी में कमी आई है। यही नहीं उनका यह भी कहना है कि इसकी सहायता से भ्रष्टाचार में भी कमी आई है। ये बातें अंतिम और अप्रश्नेय सत्य की तरह कही जाती हैं और इन पर कोई सवाल कुफ्र से कम नहीं समझा जाता, लेकिन सवाल तो पूछे जाएंगे..."