'"अगर माहवारी के दौरान औरत खाना बनाती है तो अगले जन्म में वो कुतिया के रूप में जन्म लेगी"। ये कहना है स्वामीनारायण भुज मंदिर के कृष्णस्वरुप दास का! इसी मंदिर द्वारा संचालित संस्थान में पिछले दिनों 68 लड़कियों के अंडरवियर उतरवा कर चेक किया गया था कि माहवारी पीरियड में हैं कि नहीं!...'
'कुख्यात कोरोनवायरस 1,700 मौतों की संख्या पार करने वाली और दुनिया भर में संक्रमित 71,000 से अधिक लोगों की संख्या के साथ एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। हालांकि, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने इस घातक प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए एक टीका खोजने के संघर्ष को जारी रखा है, वहीं हिंदू महासभा का मानना है कि यह जानलेवा वायरस एक वायरस नहीं है बल्कि मांसाहारियों को दंडित करने के लिए एक क्रोधित भगवान का “अवतार” है...'
'इन दिनों पूरे देश में एनपीआर-एनआरसी-सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी के समांतर, सन 2021 की दशकीय जनगणना की तैयारियां भी चल रहीं हैं. आरएसएस द्वारा एनपीआर, एनआरसी और सीएए का समर्थन तो किया ही जा रहा है, संघ यह भी चाहता है कि जनगणना कर्मी जब आदिवासियों से उनका धर्म पूछें तो वे स्वयं को ‘हिन्दू’ बताएं. संघ के एक प्रवक्ता के अनुसार, सन 2011 की जनगणना में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने अपना धर्म ‘अन्य’ बताया था, जिसके कारण देश की कुल आबादी में हिन्दुओं का प्रतिशत 0.7 घट कर 79.8 रह गया था.
'सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर के दर्शन करने जा रही एक महिला कार्यकर्ता पर मंगलवार को हिंदू संगठन के एक सदस्य ने कथित रूप से हमला किया. सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर के दर्शन की अनुमति देने के बाद अयप्पा मंदिर के दर्शन करने वाली बिंदू अम्मिनी महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई की अगुवाई में मंदिर के दर्शन के लिए जा रहे महिला कार्यकर्ताओं के समूह में शामिल थीं. बिंदू अम्मिनी पर पुलिस कमिश्नर के दफ्तर के बाहर हिंदू संगठन के एक सदस्य ने मिर्ची स्प्रे से हमला किया...'
"कल ही दिल्ली की एक अदालत ने यह व्यवस्था दी है कि पति के द्वारा जबरन संभोग बलात्कार नहीं है , और दो दिन पहले ही मध्यप्रदेश में एक पति के द्वारा अपने अन्य परिवार -सद्स्यों के साथ मिलकर एक महिला का सामूहिक बलात्कार किया गया . ये बलात्कार की कुछ ऐसी घटनायें हैं , जिनमें परिवार ही स्त्री उत्पीडन का सबसे बडा केंद्र दिखा है, जिसके साथ सांस्कृतिक तर्क और उससे संचालित कानून की व्यवस्था भी है. महभारत में एक कथा है कि भीष्म किसी 'ओघवती' की कहानी सुनाते हैं , जिसमें अतिथि की सेवा के लिए उसका पति उसे सौंप देता है . यह कथा पति के मोक्ष के लिए पत्नी के बलात्कार को सांस्कृतिक तर्क देती है .
"पुरी के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने आज कहा कि वह धर्मगुरुओं से नरेन्द्र मोदी का विरोध करने को कहने के लिए वाराणसी जाएंगे। शंकराचार्य मोदी को 2002 के गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार मानते हैं..."
"अमरीकी लेखिका वेंडी डोनिगर ने भारत में उनकी पुस्तक 'द हिंदूज़: ऐन ऑल्टरनेटिव हिस्ट्री' को नष्ट किए जाने के फ़ैसले पर अफ़सोस जताया है. वेंडी डोनिगर की किताब को ये कहते हुए क़ानूनी रूप से चुनौती दी गई थी कि इससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस लगी है. इसके बाद किताब की प्रकाशक पेंगुइन इंडिया इस पुस्तक को वापस लेने और उसकी बाक़ी बची प्रतियों को नष्ट करने पर सहमत हो गई... डोनिगर का कहना था, "क़ानून काफ़ी क्रूर है और किसी हिंदू को आहत करने वाली किताब के प्रकाशक को ये अपराधी साबित करता है. इसलिए ये क़ानून बदलने की ज़रूरत है."... डोनिगर ने कहा, "वो सभी हिंदुओं के लिए अपमानजनक नहीं है.
"हिन्दू राष्ट्रवाद बनाम भारतीय राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बहस नई नहीं है. औपनिवेशिक दौर में, जब आजादी का आंदोलन, भारतीय राष्ट्रवाद की अवधारणा और उसके मूल्यों को स्वर दे रहा था तब हिन्दुओं के एक तबके ने स्वयं को स्वाधीनता संग्राम से अलग रखा और हिन्दू राष्ट्रवाद और उससे जुड़े हुए मूल्यों पर जोर दिया। यह बहस एक बार फिर उभरी है. इसका कारण है भाजपा.एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बतौर स्वयं को प्रस्तुत करने के लिए आतुर नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया एक साक्षात्कार (जुलाई, 2013) जिसमें उन्होंने कहा कि वे हिन्दू पैदा हुए थे और वे राष्ट्रवादी हैं, इसलिए वे हिन्दू राष्ट्रवादी हैं!
"जिन लोगों को यह ग़लतफ़हमी थी कि भारतीय जनता पार्टी हिन्दू धर्म और हिन्दुओं की बहुत बड़ी हितैषी है और व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन में शुचिता की हिमायती है, उनकी यह ग़लतफ़हमी अब तो दूर हो जानी चाहिए. उसके शासन वाले राज्य उत्तराखंड में एक संन्यासी गंगा को स्वच्छ किये जाने और अवैध खनन को रोके जाने की मांग को लेकर अनशन करता रहा लेकिन पार्टी और सरकार के कान पर जूँ तक न रेंगी. गंगा का सभी भारतवासियों, विशेष रूप से हिन्दुओं, के लिए भावनात्मक महत्व है. अनशन भी शासन के विरोध में नहीं बल्कि एक सकारात्मक मांग को उठाने के लिए किया गया था.