'जस्टिस एपी शाह ने कहा कि इन पांच छह सालों में सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता पर जमकर बट्टा लगा है। जस्टिस कुरियन जोसफ के मुताबिक पूर्व सीजेआई द्वारा राज्यसभा मनोनयन को स्वीकार करने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता में आम आदमी का विश्वास डिगा है। जस्टिस मदन बी लोकुर ने सवाल किया कि क्या आखिरी पिलर भी ढह गया है?...'
'असम के छह डिटेंशन सेंटर में पिछले साल दस लोगों की मौत हो गई. इन डिटेंशन सेंटर में घोषित या दोषी विदेशियों को रखा जाता है. केंद्र सरकार ने लोकसभा में मंगलवार को यह जानकारी दी. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि असम के इन छह डिटेंशन सेंटर में 3331 लोगों को रखने की क्षमता है तथा राज्य में एक और ऐसे ही सेंटर का निर्माण चल रहा है, जिसकी क्षमता तीन हजार लोगों की है. रेड्डी ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया, ‘असम के छह डिटेंशन सेंटर, जहां घोषित विदेशी या दोषी विदेशियों को रखा जाता है वहां एक मार्च 2019 से 29 फरवरी 2020 के बीच दस लोगों की मौत हुई है.’...'
'उच्चतम न्यायालय ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बड़े की अग्रिम जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी. नवलखा और तेलतुम्बड़े पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. न्यायालय ने अग्रिम जमानत की अस्वीकृति के संबंध में यूएपीए के तहत प्रावधानों का हवाला देते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने कहा कि वह आरोपियों के खिलाफ प्रथमदृष्टया मामले से संतुष्ट है...'
'...उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगे होर्डिंग्स पिछले कई दिनों से चर्चा में हैं। पहले पुलिस-प्रशासन की तरफ़ से सीएए विरोधी आंदोलन में शामिल प्रदर्शकारियों को हिंसा का आरोपी बताते हुए नुकसान की भरपाई के लिए जगह-जगह बड़े बड़े होर्डिंग-पोस्टर लगा दिए गए। इस पर आपत्ति के बाद भी इन्हें नहीं हटाया गया। इसके बाद जैसे को तैसा जवाब देते हुए यह पोस्टर वार शुरू हो गई। शनिवार, 14 मार्च को लखनऊ की सड़कों पर और भाजपा कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगा दिखाई दिया। पोस्टर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के साथ कई केंद्रीय मंत्रियों की फोटो हैं, साथ ही चुनावी हलफनामे के दौरा
'उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार विरोध प्रदर्शनों, जुलूसों और धरने के कारण सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अध्यादेश लाएगी. लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ. सरकार ने यह कदम हाई कोर्ट के उस आदेश के बाद उठाया है जिसमें उसे लखनऊ में लगाए गए सीएए विरोधियों के पोस्टर हटाने का आदेश दिया गया था. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है. शीर्ष अदालत ने भी सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा था कि उसे किस कानून ने ऐसा करने का अधिकार दिया है.
'5 मार्च को प्राइवेट न्यूज़ चैनल ‘टाइम्स नाउ’ ने प्रसारण के दौरान एक वीडियो चलाया. वीडियो में दिल्ली दंगों के दौरान एक शख़्स को गोली चलाते हुए देखा जा सकता है. चैनल ने दावा किया – “दिल्ली हिंसा का नया वीडियो. रिपोर्ट के अनुसार ये मौजपुर का वीडियो है…पुलिस पर हमले का ये चौथा वीडियो.” चैनल ने इसे #ShaheenLynchModel हैशटैग के साथ ट्वीट किया... इसके एक दिन बाद भाजपा के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने यही वीडियो ट्वीट किया. उन्होंने ये दावा किया कि गोली चलाने वाला शख़्स मुस्लिम समुदाय का है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी द्वारा पुलिस पर गोलीबारी करने का एक और वीडियो.
'वकीलों की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर के ‘‘जल्दबाजी में’’ तबादले के सरकार के ‘‘फैसले’’ पर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति मुरलीधर का तबादला 26 फरवरी की रात को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में कर दिया गया। एक दिन पहले उन्होंने उत्तरपूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों से पहले भाजपा के तीन नेताओं द्वारा कथित तौर पर नफरत भरे भाषण देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से विफल रहने को लेकर दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी...'
'दिल्ली विधानसभा ने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ शुक्रवार को प्रस्ताव पारित किया। एनपीआर और एनआरसी पर चर्चा के लिए बुलाए गए एक दिवसीय विशेष सत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र से इन्हें वापस लेने की अपील की...'
'आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के ख़िलाफ़ एक प्रस्ताव पेश किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपाल राय ने दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि अगर एनपीआर लागू हो गया तो देश की एक बड़ी आबादी इससे प्रभावित होगी...'
'जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने उस याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया जिसमें घाटी में प्रदर्शनों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई थी. जस्टिस अली मोहम्मद मागरे और जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘यह स्पष्ट है कि जब तक अनियंत्रित भीड़ द्वारा हिंसा की जाती है, बल का इस्तेमाल अपरिहार्य होता है.’...'