'जहां एक तरफ पूरा भारत (और दुनिया) कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार की कोशिशें कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने अपने महत्वाकांक्षी और विवादित- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट- के लिए दिल्ली मास्टर प्लान में संशोधन को मंजूरी देते हुए नोटिफिकेशन जारी किया है. इस हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट का बजट 20,000 करोड़ रुपये का है. एक महामारी से लड़ते हुए पूरे भारत के लॉकडाउन में चले जाने के बावजूद इस तरह के नोटिफिकेशन जारी करना ये दर्शाता है कि आखिर मोदी सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं...'
'राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के अध्यक्ष बिमल कुमार रॉय ने करीब एक महीने पहले कहा था कि चार दशकों में पहली बार उपभोक्ता खर्च में आई कमी दिखाने वाली आधिकारिक सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी लेकिन अब स्वायत्त संस्था ने रिपोर्ट न जारी करने का फैसला किया है. बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, रॉय ने कहा, ‘मैं कोशिश की. (15 जनवरी की एनएससी बैठक में) सर्वे को जारी करने के लिए मैंने एक प्रस्ताव दिया लेकिन मुझे कोई समर्थन नहीं मिला. मैंने अध्यक्ष के रूप में प्रस्ताव रखा था, लेकिन यह नहीं हुआ.
'इंडियास्पेंड द्वारा किया गया संसद से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण दिखाता है कि 15वीं और 16वीं लोकसभा के बीच सरकार के अधूरे आश्वासनों की तादाद चार गुना हो गई. इनमें नोटबंदी के असर से लेकर पुलिस हिरासत में होने वाली मौतें और पत्रकारों पर हुए हमलों की जानकारी देने जैसे विषयों से जुड़े आश्वासन शामिल हैं. 16वीं लोकसभा के अंत तक - यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का पहला कार्यकाल खत्म होने तक - मोदी सरकार द्वारा दिये गये 1,540 आश्वासन ऐसे थे जो पूरे नहीं हुए. इसके मुकाबले 15वीं लोकसभा के आखिर तक 385 आश्वासन अधूरे रहे थे.
'अंतिम सूची के 31 अगस्त 2019 में प्रकाशन होने के बाद आधिकारिक वेबसाइट www.nrcassam.nic.in पर वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम शामिल और बाहर किए जाने का पूरा विवरण अपलोड किया गया था। यह डेटा पिछले कुछ दिनों से उपलब्ध नहीं है और इसने लोगों में, खासतौर पर सूची से बाहर किए गए लोगों के बीच दहशत पैदा कर दी है क्योंकि उनके नाम खारिज किए जाने का प्रमाणपत्र उन्हें जारी किया जाना अभी बाकी है...'
'यह पहली बार हुआ है कि एक आधिकारिक सांख्यिकीय सर्वेक्षण को पूरी तरह से दबा दिया गया है, और उपभोक्ता व्यय के सर्वेक्षण पर ख़र्च हुई सारी धनराशि नाले में बहाई जा रही है...
'अर्थशास्त्रियों और शिक्षाविदों ने विभिन्न आंकड़ों को लेकर एक बार फिर सरकार को घेरा है। दो सौ से अधिक अर्थशास्त्रियों और शिक्षाविदों ने सरकार से उपभोक्ता व्यय सर्वे 2017-18 समेत NSSO के सभी आंकड़े और रिपोर्ट जारी करने की अपील की है। उपभोक्ता व्यय सर्वे (Consumer Expenditure Survey) का काम राष्ट्रीय नमूना सर्वे कार्यालय (NSSO : National Sample Survey Office ) ने पूरा किया है। मीडिया में लीक रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 के उपभोक्ता व्यय सर्वे में औसत उपभोक्ता खपत में तीव्र गिरावट को दिखाया गया है। सर्वे के परिणाम को जारी नहीं किया जा रहा है क्योंकि वह अर्थव्यवसथा में नरमी के अन्य साक्ष्यों का स
'भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विवादास्पद सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में नामित किया गया है। 21 सदस्यीय संसदीय सलाहकार समिति की अध्यक्षता केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं। मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी रही भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ने इस साल के शुरू में लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को हराया था। 21 सदस्यीय संसदीय सलाहकार समिति में विपक्षी नेताओं फारूक अब्दुल्ला और शरद पवार की पसंद भी शामिल हैं...'
'हाल ही में लाए गए नए नियमों के तहत केंद्र सरकार को केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग के ऊपर नियंत्रण देना यह सुनिश्चित करेगा कि आरटीआई की अपील पर सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक काम हो... सूचना का अधिकार (आरटीआई) पर नरेंद्र मोदी सरकार के असली असर को लेकर सस्पेंस और रहस्य का पर्दा हट गया है. सभी सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता को पहुंचा नुकसान उम्मीद से भी ज्यादा है. न सिर्फ उनकी स्वतंत्रता को कम कर दिया गया है- बल्कि सूचना आयोग और इसके मुखिया को सरकार के अधीन कर दिया गया है.
'एनएसएसओ, पशुधन गणना, एनसीआरबी और यहां तक कि जनगणना के आंकड़े भी देरी के चलते धीरे-धीरे दबाए जा रहे हैं। इन आंकड़ों में से इच्छा के अनुसार ख़ास आंकड़ों को हटा दिया जा रहा है... पिछले साढ़े पांच वर्षों में कई प्रमुख आंकड़े जारी हुए लेकिन वे निकाल दिए गए, उनके साथ हेरा-फेरी की गई, ठंडे बस्ते में डाल दिए गए या दबा दिए गए हैं। चूंकि ये सभी केंद्र सरकार के समर्पित विभागों द्वारा तैयार, इकट्ठा और प्रक्रियाबद्ध किए गए हैं इसलिए यह कल्पना से परे नहीं है कि इसके पीछे कोई इरादा ज़रूर है...'
'...द वायर ने तहलका मैग्जीन के हवाले से एक खबर चलायी है कि तहलका मैग्जीन ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग पेश की थी, जिसमें कथित तौर पर जीसी मुर्मू, वरिष्ठ कानून अधिकारी कमल त्रिवेदी और तत्कालीन गृह राज्यमंत्री प्रफुल पटेल से बातचीत कर रहे थे। खबर के अनुसार तीनों लोग एक कथित फर्जी एनकाउंटर को कवर करने के बारे में बात कर रहे थे। बता दें कि अब वह ऑडियो रिकॉर्डिंग सीबीआई की चार्जशीट का हिस्सा है। इसके अलावा जीसी मुर्मू ने कथित तौर पर स्नूपगेट विवाद में भी अमित शाह की मदद की थी। इस मामले में अमित शाह पर एक महिला को राज्य सर्विलांस पर लेने के आरोप लगे थे।...'