'कर्नाटक के ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने रविवार (15 सितंबर) को ऐसा बयान दिया, जिस पर विवाद हो सकता है। उन्होंने कहा कि देशभक्त मुसलमान बीजेपी को वोट देंगे, जबकि पाकिस्तान समर्थक मुस्लिम ऐसा करने से हिचकिचाएंगे। इस दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने यह भी घोषणा की कि उनकी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में गौकशी पर प्रतिबंध लगाएगी। बता दें कि ईश्वरप्पा पहले भी विवादों में रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि बीजेपी की तरफ से मुसलमानों को टिकट नहीं दिया जाएगा...'
'बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि मामले में मुख्य वादियों में शामिल इकबाल अंसारी पर मंगलवार को उनके घर पर ही कथित रूप से हमला किया गया। अंसारी ने दावा किया कि उन्हें धमकी दी गई है कि अगर उन्होंने मामला वापस नहीं लिया तो उनकी हत्या कर दी जाएगी। उनके सुरक्षा कर्मी ने उन्हें हमलावरों से बचाया। पुलिस ने हमलावरों को हिरासत में ले लिया है।
'मोरीगांव भाजपा आईटी सेल के सेक्रेटरी नीतू बोरा ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि राज्य की भाजपा सरकार प्रवासी मुस्लिमों से स्थानीय असमियों की रक्षा करने में नाकाम रही है... असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के खिलाफ कथित अपमानजनक पोस्ट लिखने के आरोप में भाजपा के आईटी सेल के एक युवक को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि युवक ने सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक टिप्पणी के साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री और एक समुदाय विशेष के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है. गिरफ्तार शख्स भाजपा के मोरीगांव जिले में भाजपा के आईटी सेल का सदस्य है.
'अलवर में विहिप और बजरंग दल से जुड़े लोगों ने गाय ले जाने वालों पर हमला कर दिया. गाय ख़रीदे जाने के दस्तावेज़ दिखाने के बाद भी बुरी तरह पीटा... सरकारें एक तरफ गोरक्षा पर आधा अधूरा और अराजक क़ानून बनाने में लगी हैं, दूसरी तरफ गोरक्षा दलों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे क़ानून अपने हाथ में लेकर न्याय कर रहे हैं. राजस्थान के अलवर में गोरक्षकों की पिटाई से एक व्यक्ति की मौत हो गई. एनडीटीवी की ख़बर के मुताबिक,’ख़ुद को गोरक्षा दल से जुड़ा बताने वाले कुछ लोगों ने दो दिन पहले कई लोगों पर हमला कर दिया और बेरहमी से पिटाई की. एक व्यक्ति की इलाज़ के दौरान मौत हो गई.
'मुसलमानों के बारे में भारतीय जनता पार्टी के नेता योगी आदित्यनाथ के बयान पर विवाद छिड़ गया है. उन्होंने कहा है कि जहां मुसलमानों की आबादी ज़्यादा होती है, वहीं दंगे होते हैं. उनके इस बयान की न सिर्फ़ विपक्षी पार्टियों ने तीखी आलोचना की है बल्कि भाजपा ने भी इससे किनारा कर लिया है. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, "वो हमेशा ऐसे बयान देते हैं, जिनसे हालात ख़राब हों और नफ़रत फैले. किसी एक समुदाय के बारे में ऐसी बात करना दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन भाजपा ने उत्तर प्रदेश में उन्हें ही अपना चुनाव प्रचार का मुखिया बनाया है."...
"दिल्ली के बटला हाउस से सटे ज़ाकिर नगर में एक बार फिर से खौफ की दस्तक सुनाई पड़ी है. ये खौफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का है. 15 अगस्त के ‘गुड वर्क’ के लालच में स्पेशल सेल के ये कारिन्दे एक बार फिर से बेगुनाह अल्पसंख्यक युवकों की ज़िन्दगी और उनके मुस्तकबिल के दुश्मन बन गए. वो तो भला हो ज़ाकिर नगर की आम जनता का जिसने स्पेशल सेल के इन खादी वर्दी में छिपे असलहाधारी पुलिस वालों के चेहरों से नकाब नोच दिया.
एडवर्ड स्नोडेन ने अमेरिकी एजेंसी एन.एस.ए. के जिस गुप्त दस्तावेज़ को हाल ही में उजागर किया है उसके अनुसार खुद को दुनियाभर के मुसलमानों का नया ख़लीफा घोषित करने वाला आई.एस.आई.एस. सरगना अल बगदादी अमेरिकी साम्राज्यवाद का एक मोहरा है।
अल बगदादी कभी अमरीका की जेल में बंद था। वहाँ से बाहर निकालकर अमेरिकी, ब्रिटिश और इस्रायली खु़फिया एजेंसी ने उसे अपनी नयी योजना के लिए एक मोहरे के रूप में तैयार किया। वक्तृत्व कला और धर्मशास्त्र के अतिरिक्त इस्रायली खु़फिया एजेंसी मोसाद ने अल बगदादी को सघन सामरिक प्रशिक्षण दिया।
"शिवसेना का सांसदों पर एक मुसलमान कैटरर का रोजा तुड़वाने का आरोप लगा है। पीड़ित कैटरर महाराष्ट्र सदन में काम करता है। जानकारी के मुताबिक शिवसेना के कई सांसद महाराष्ट्र सदन में रह रहे हैं। उनका आरोप है सदन की कैंटीन का खाना बेहद खराब क्वॉलिटी का है। इसी को लेकर 17 जुलाई को कुछ सांसदों ने मीडिया की मौजूदगी में कैंटीन के सुपरवाइजर को डांटा.
'2005 की बात है, 28 वर्षीय इमराना के साथ उसके ससुर ने बलात्कार किया, जब यह मामला शरियत अदालत के पास पहुंचा तो उन्होंने फतवा जारी करते हुए कहा, चूंकि इमराना के ससुर ने उससे शारीरिक संबंध स्थापित कर लिए हैं, लिहाजा वह ससुर को अपना पति माने और पति को पुत्र। शरीयत अदालतों द्वारा दिए गये अनाप –शनाप फैसलों का यह महज एक उदाहरण है, इमराना मामले को आधार बना कर दिल्ली के एक वकील द्वारा 2005 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर शरीयत अदालतों पर पाबंदी व फतवों पर रोक लगाने की मांग की गयी थी। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और दारूल उलूम देवबंद द्वारा याचिका के विरोध में दलीलें दी गयीं , सुनवाई के दौरान
"सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के सूरत बम विस्फोट कांड में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को शुक्रवार को बरी कर दिया। टाडा अदालत ने इन लोगों को 10 साल से लेकर 20 साल की अवधि तक की सजा सुनाई थी. धमाकों में एक लड़की की मौत हो गई थी और 31 अन्य घायल हो गए थे। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरोपियों और गुजरात सरकार की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। आरोपियों ने टाडा कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी..."