'बीते बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक व्यक्ति की शिकायत पर द वायर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और 505(2) के तहत केस दर्ज किया. धारा 188 के तहत सरकारी आदेश की अवहेलना और धारा 505 (2) के तहत विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के उद्देश्य से सूचना प्रसारित आरोप में सजा का प्रावधान है...'
'केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर आज अपनी एक फोटो को लेकर सुर्खियों में आ गए. अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट इस फोटो में वे रामानंद सागर का धारावाहिक रामायण देख रहे थे. प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा था, ‘मैं रामायण देख रहा हूं. क्या आप भी?’ 80 के दशक का यह मशहूर धारावाहिक आज से दूरदर्शन पर फिर शुरू हुआ है...'
'वरिष्ठ पत्रकार और टीवी एंकर नवीन कुमार पर दिल्ली पुलिस ने बर्बर हमला किया है। आज सोमवार दोपहर जब वे दिल्ली में वसंतकुंज अपने घर से नोएडा फिल्म सिटी अपने दफ़्तर आ रहे थे तो रास्ते में पुलिस ने उन्हें चेकिंग के दौरान बुरी तरह पीटा। नवीन ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर अपने साथ हुई घटना और दुख को साझा किया है। आइए पढ़ते हैं उनका यह ‘खुला पत्र’ :...'
'कोरोना वायरस का संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ रहा है. इसी बीच कन्नडा चैनल ‘पब्लिक TV’ ने 14 मार्च को एक न्यूज़ बुलेटिन दिखाया. इसमें दावा किया गया कि कर्नाटका, भटकाल में चार मुस्लिम युवक दुबई से लौटे हैं और उन्होंने धार्मिक कारणों से कोरोना का टेस्ट करवाने से मना किया है. हालांकि, प्रसारण का वीडियो ऑफिशियल यूट्यूब चैनल से अब डिलीट कर दिया गया है मगर आप इसे नीचे देख सकते हैं...'
'प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने अंग्रेजी अखबार ‘द टेलीग्राफ’ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. यह नोटिस अखबार के संपादक को जारी किया गया है. हफिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पीसीआई ने जारी बयान में कहा कि संस्था के चेयरमैन जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने यह पाया कि 17 मार्च 2020 को ‘द टेलीग्राफ’ के पहले पन्ने पर प्रकाशित खबर की हेडलाइन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम को व्यंग्यपूर्ण ढंग से लिखा गया, जो पत्रकारिता के पैमाने से परे है...'
'एक व्यक्ति की तस्वीर सोशल मीडिया में ये कहते हुए वायरल हो रही है कि ये व्यक्ति हिमालया आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के फ़ाउन्डर मोहम्मद मेनल हैं. दावा है कि ये अपनी आमदनी का 10% ‘जिहादियों’ को देते हैं. ट्विटर यूज़र भरत संघवी ने तस्वीर को इसी दावे से शेयर किया था. संघवी को ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह फ़ॉलो करते हैं... हैन्डल ‘@Read_Bannaj’ ने एक और कदम आगे बढ़ते हुए दावा किया कि हिमालया प्रोडक्ट का सभी हिन्दुओं को बहिष्कार करना चाहिए क्योंकि इसका मालिक एक मुस्लिम व्यक्ति है और वो अपनी आय का 10% ‘आतंकवादियों’ को देता है.
'देश के सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कहा कि विदेश मंत्रालय ने अमेरिका में स्थित भारतीय दूतावास से भारत विरोधी व्यवहार को लेकर वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशियाई डिप्टी ब्यूरो चीफ एरिक बेलमैन को तत्काल प्रभाव से वापस भेजने के एक अनुरोध पर विचार करने को कहा है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शुक्रवार को ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘सरकार के ऑनलाइन शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म पर किसी व्यक्ति ने एरिक बेलमैन के खिलाफ शिकायत की थी. शिकायत को मानक प्रक्रिया के मुताबिक संबंधित कार्यालय को भेजा जाना एक नियमित मामला है.
'5 मार्च को प्राइवेट न्यूज़ चैनल ‘टाइम्स नाउ’ ने प्रसारण के दौरान एक वीडियो चलाया. वीडियो में दिल्ली दंगों के दौरान एक शख़्स को गोली चलाते हुए देखा जा सकता है. चैनल ने दावा किया – “दिल्ली हिंसा का नया वीडियो. रिपोर्ट के अनुसार ये मौजपुर का वीडियो है…पुलिस पर हमले का ये चौथा वीडियो.” चैनल ने इसे #ShaheenLynchModel हैशटैग के साथ ट्वीट किया... इसके एक दिन बाद भाजपा के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने यही वीडियो ट्वीट किया. उन्होंने ये दावा किया कि गोली चलाने वाला शख़्स मुस्लिम समुदाय का है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी द्वारा पुलिस पर गोलीबारी करने का एक और वीडियो.
'आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों के दौरान आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत का ज़िम्मेदार बताया गया है. शर्मा की लाश 26 फ़रवरी को हुसैन के घर के पास वाले एक नाले में मिली थी. उसके बाद से आप नेता को पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया और उन्हें पुलिस हिरासत में रखा गया है. इस पूरे दौरान दिल्ली में हुई हिंसा और ताहिर हुसैन से जुड़ी कई मीडिया रिपोर्ट्स में पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों की अनदेखी की गई. ऐसी ही एक रिपोर्ट है ‘सुदर्शन न्यूज़’ की. 27 फ़रवरी को चैनल ने दो मिनट का एक वीडियो ट्वीट किया जिसके अनुसार वो ताहिर हुसैन के घर की ग्राउंड रिपोर्ट है.
'सीएए पास होने के बाद उसके खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शन, उसके समर्थन में निकाली गई रैलियों और बीते दिनों दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान 32 ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें पत्रकारों के साथ मारपीट या उन्हें उनके काम करने से रोकने की कोशिश हुई है। यह खुलासा सोमवार को 'कमेटी अगेन्स्ट एसॉल्ट ऑन जर्नलिस्ट' (CAAJ) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट से हुआ है। CAAJ की ओर से 9 मार्च को दिल्ली में प्रेस क्लब में 'रिपब्लिक इन पेरल' (Republic In Peril) नाम से जारी इस रिपोर्ट में दिल्ली के उन 32 पत्रकारों का विवरण दिया गया है, जिन पर हमला किया गया था...'