'मध्य प्रदेश की नई भाजपा सरकार ने बीते मंगलवार को कमलनाथ सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के आयोगों में अध्यक्ष और के सदस्यों के पदों पर की गई हालिया नियुक्तियों को रद्द कर दिया. इसके अलावा कांग्रेस सरकार में पूर्व कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ दर्ज किए गए धोखाधड़ी के केस को भी बंद कर दिया गया है...'
'राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामांकित किया है. सोमवार को इस संबंध में गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है... बता दें कि रिटायर होने से कुछ दिनों पहले रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाया था. गोगोई ने अयोध्या मामले पर बनी पांच न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व किया था, जिसने पिछले साल नौ नवंबर को फैसला सुनाया था.
'कर्नाटक में बीजेपी के ‘संकटमोचक’ कहे जाने वाले दलित नेता और कर्नाटक सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बी. श्रीरामुलु की बेटी रक्षिता की हैदराबाद के उद्योपति रवि कुमार से 5 मार्च को शादी होने जा रही है। यह शादी इतिहास रचने जा रही है क्योंकि अस शादी में 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे... यह शादी नौ दिनों तक चलगी जिसकी शुरुआत 27 फरवरी को होने जा रही है। बताया जा रहा है कि यह शादी इस दशक की सबसे बड़ी शादी होगी...'
'कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने लौह अयस्क समृद्ध बेल्लारी जिले से चार बार के विधायक आनंद सिंह को वन, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी मंत्री बनाया है. सिंह पर साल 2012 से अवैध खनन और वन अपराधों के 15 मामले दर्ज हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 53 वर्षीय सिंह को सोमवार को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बनाया गया था लेकिन एक दिन बाद ही पोर्टफोलियों में बदलाव की मांग के बाद उन्हें वन, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी मंत्री बना दिया गया...'
'सीबीआई ने बीते मंगलवार को अपने पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को रिश्वत मामले में क्लीन चिट दे दी. इस मामले के चलते पिछले साल जांच एजेंसी में काफी विवाद हुआ था. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अस्थाना से जुड़े रिश्वत के एक मामले में दुबई के उद्योगपति एवं कथित बिचौलिये मनोज प्रसाद के खिलाफ मंगलवार को आरोपपत्र दायर किया. वहीं प्रसाद के भाई सोमेश्वर श्रीवास्तव और ससुर सुनील मित्तल के खिलाफ जांच जारी है. हालांकि सीबीआई ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजीव अग्रवाल के समक्ष दायर आरोपपत्र में अस्थाना को क्लीन चिट दी.
'...आज खबर आई कि मध्यप्रदेश में 540 करोड़ रुपये का स्वच्छ शौचालय घोटाला सामने आया है। यहां साल 2012 से 2018 के दौरान राज्यभर में 4।5 लाख शौचालय का निर्माण दिखाया गया। वास्तव में इन शौचालय का निर्माण हुआ ही नहीं था। इन शौचालयों को कागजों में निर्माण दिखा दिया गया। सबूत के रूप में जिन शौचालयों की फोटो जमा की गई वह कहीं और के शौचालयों की थी। अधिकारियों ने जब इन फोटोग्राफ को जीपीएस से टैग करने की कोशिश की तो यह शौचालय 'गायब' मिले...'
'राजनीतिक चंदे की लेनदेन में काम आने वाले बैंकिंग चैनलों, खातों और मुद्रक को मिलाकर समूचे इनफ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव और सुरक्षा पर गोपनीय अरबपति या प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल एक पैसा अपनी ओर से खर्च नहीं करते. इसके बजाय यह लागत भारत सरकार के एक खाते कंसोलिडेटेड फंड आँफ इंडिया से वसूली जाती है जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से आने वाला राजस्व जमा होता है. इसके ठीक उलट आम भारतीय नागरिकों द्वारा किए जाने वले बैंकिंग विनिमय पर उससे बैंकिंग शुल्क और कमीशन वसूला जाता है.
'हमारी इलेक्टोरल बॉन्ड संबंधी कागज़ात की पड़ताल में यह सामने आया है कि इस विवादास्पद योजना के बारे में सूचना प्रदान करने में भारतीय स्टेट बैंक ने सार्वजनिक रूप से गलतबयानी की थी और कुछ मामलों में सूचना के अधिकार के तहत किए गए आवेदनों पर झूठे जवाब भी दाखिल किए थे. यह इसके बावजूद था कि बैंक ये सूचनाएं नियमित रूप से वित्त मंत्रालय को भेज रहा था. सूचना कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने एक आरटीआई आवेदन में एसबीआई से 13 सीधे सवाल पूछे थे.
'कानून मंत्रालय ने मोदी सरकार द्वारा जल्दबाजी में विवादास्पद इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित लिये गये फैसले और इलेक्टोरल फंडिंग से जुड़े अन्य कानूनों में संसदीय प्रक्रिया के तहत किये गये बदलावों को आधिकारिक रूप से सहमति दी थी. मंत्रालय की तरफ़ से यह सब गड़बड़ियां की गई. हमें मिले दस्तावेज़ों में इस बात के पूरे साक्ष्य हैं कि मोदी सरकार द्वारा इस पर राज्यसभा को बाइपास करना असंवैधानिक, गैरकानूनी था...'
'सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड्स योजना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत ने इस रोक की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से दो हफ्ते में जवाब भी मांगा है. यह याचिका चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), सीपीएम और अन्य की ओर से दाखिल की गई है. पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने सभी राजनैतिक दलों को आदेश दिया था कि वे चुनावी बॉन्ड्स के जरिये मिले चंदे और दानकर्ताओं का पूरा ब्योरा सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंप दें...'