'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी मद्रास) में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जर्मनी के एक छात्र का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध में हुए प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद उन्हें तुरंत भारत से जाने को कहा गया था. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आईआईटी मद्रास में फिजिक्स की पढ़ाई कर रहे जर्मनी के छात्र जैकब लिंडेनथल सोमवार रात को एम्सटर्डम लौट गए. लिंडेनथल ने कहा कि उन्हें चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) से भारत से जाने के मौखिक निर्देश मिले थे.
'18 दिसंबर की रात पूर्व क्रिकेटर और बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली ने अपनी बेटी सना गांगुली के संदर्भ में एक ट्वीट पोस्ट किया। “कृपया सना को इन सभी मुद्दों से दूर रखें .. यह पोस्ट सत्य नहीं है ..
'नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए पर मची बहस से अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली का नाम भी जुड़ गया है. एक ट्वीट कर उन्होंने अपील की है कि उनकी बेटी सना गांगुली को इस पूरे मामले से बाहर रखा जाए. सौरव गांगुली के मुताबिक सना अभी बच्ची है जो राजनीति नहीं समझती... सौरव गांगुली की यह प्रतिक्रिया तब आई जब सना गांगुली ने इंस्टाग्राम पर मशहूर लेखक खुशवंत सिंह की किताब ‘द एंड ऑफ़ इंडिया’ के एक अंश का ज़िक्र किया. इसके शब्द थे, ‘हर फासीवादी शासन को फलने-फूलने के लिए ऐसे समुदायों और समूहों की जरूरत होती है जिनको वो राक्षस के रूप में पेश कर सके.
'11 दिसंबर 2019 को हम बाक़ायदा फ़ासीवादी हिंदू राष्ट्र—हिंदू भारत—में प्रवेश कर गये हैं! इस दिन एक प्रकार से औपचारिक घोषणा संसद में कर दी गयी कि भारत अब समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य नहीं रहा। अब भारत सिर्फ़ हिंदुओं का देश है! देश का संविधान हाथ-पर-हाथ बांधे खड़ा रहा और संसद ने संविधान की प्रस्तावना को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। यह काम खुलेआम संसदीय व संवैधानिक तौर-तरीक़े से किया गया!
सीआरपीएफ की कॉन्स्टेबल खुशबू चौहान के मानवाधिकार पर दिए गए आपत्तिजनक भाषण को लेकर सोशल मीडिया का बाज़ार गरम है. इस भाषण पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
एडवर्ड स्नोडेन ने अमेरिकी एजेंसी एन.एस.ए. के जिस गुप्त दस्तावेज़ को हाल ही में उजागर किया है उसके अनुसार खुद को दुनियाभर के मुसलमानों का नया ख़लीफा घोषित करने वाला आई.एस.आई.एस. सरगना अल बगदादी अमेरिकी साम्राज्यवाद का एक मोहरा है।
अल बगदादी कभी अमरीका की जेल में बंद था। वहाँ से बाहर निकालकर अमेरिकी, ब्रिटिश और इस्रायली खु़फिया एजेंसी ने उसे अपनी नयी योजना के लिए एक मोहरे के रूप में तैयार किया। वक्तृत्व कला और धर्मशास्त्र के अतिरिक्त इस्रायली खु़फिया एजेंसी मोसाद ने अल बगदादी को सघन सामरिक प्रशिक्षण दिया।
सन् 2014 के आम चुनाव में नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से, देश के बुद्धिजीवियों व राजनैतिक समीक्षकों में इस मुद्दे पर बहस चल रही है कि आने वाले दिन कैसे होंगे। क्या वे ‘अच्छे‘ होंगे या बहुत बुरे?
"16वीं लोकसभा के चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के कॉरपोरेट प्रेम को स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। द नीलसन/इकोनॉमिक्स टाइम्स समाचारपत्र की ओर से किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 100 उद्योगपतियों में से 74% उद्योगपति नरेन्द्र मोदी को अगले पीएम के रूप में देखना चाहते हैं। देश-विदेश की सारी कॉर्पोरेट शक्तियां लम्बे समय से पीएम पद के लिए नमो नमो का जाप करते नहीं थक रही हैं..."
"जनाब नरेन्द्र मोदी के सियासत में आगमन – पहले गुजराती हिन्दुओं के एक नेता के तौर पर, जिस वक्त ‘गुजरात का शेर’ के तौर पर उन्हें सम्बोधित किया जाता था और बाद में ‘भारत माता के शेर’ के तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण – के साथ हम ऐसे ही मुखौटा पहननेवाले वयस्कों से रूबरू हैं जो एक ऐसे चेहरे में अपनी पहचान ‘विलीन’ कर देना चाहते हैं जो 21 वीं सदी में सबसे ध्रुवीकृत करनेवाली छवियों में शुमार की जाती है.
"एक धार्मिक समुदाय के बीच किसी दूसरे धार्मिक समुदाय के बारे में झूठा प्रचार करना फ़ासीवादियों तथा धार्मिक-दक्षिणपंथी शक्तियों का पुराना हथकण्डा रहा है। फिर यह कैसे हो सकता था कि इस मामले में भारत के संघी-मार्का फ़ासीवादी पीछे रह जायेँ। भाजपा के 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए पीएम उमीद्वार नरेन्द्र मोदी ने 2002 के गुजरात दंगों के बाद वहाँ हुए चुनाव के दौरान कहा था – “हम (मतलब हिन्दू) दो हमारे दो, वो (मतलब मुस्लिम) पाँच उनके पचीस।” इसके बाद 2004 में विश्व हिन्दू परिष्द के अशोक सिंघल ने हिन्दुओं के आगे परिवार नियोजन छोड़ने का ढोल पीटा। अशोक सिंघल यह तुर्रा बहुत पहले से छोड़ते आ रहे हैं, और भाजप