'बीते बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक व्यक्ति की शिकायत पर द वायर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और 505(2) के तहत केस दर्ज किया. धारा 188 के तहत सरकारी आदेश की अवहेलना और धारा 505 (2) के तहत विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घॄणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के उद्देश्य से सूचना प्रसारित आरोप में सजा का प्रावधान है...'
'...दिल्ली दंगों में जिस मौत का सबसे ज़्यादा ज़िक्र हुआ वो थी 26 साल के अंकित शर्मा की मौत. इंटेलिजेंस ब्यूरो में कांस्टेबल पद पर तैनात अंकित शर्मा की लाश 26 फ़रवरी को चांद बाग़ इलाक़े में मौजूद एक नाले से मिली थी... अंकित की मौत की ख़बर आते ही सनसनी फैल गयी. सनसनी असल में मौत के कारण नहीं बल्कि मौत की वीभत्सता को लेकर थी. बताया गया कि अंकित के शरीर पर 400 चाकुओं के निशान हैं. उसे 400 बार चाकू या और नुकीले हथियारों से गोदा गया और फिर उसकी लाश को नाले में फेंक दिया गया. सोशल मीडिया पर ये बात आग की तरह फैली.
'उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ‘आतंकवादी’ कहने के आरोप में कानपुर जिला अदालत के एक वकील के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल हन्नान नाम के वकील ने रविवार को राज्य के सूचना विभाग के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी के एक ट्वीट पर कॉमेंट किया था. दरअसल, त्रिपाठी ने राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाषण के एक हिस्से का वीडियो ट्वीट किया था.
'...उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगे होर्डिंग्स पिछले कई दिनों से चर्चा में हैं। पहले पुलिस-प्रशासन की तरफ़ से सीएए विरोधी आंदोलन में शामिल प्रदर्शकारियों को हिंसा का आरोपी बताते हुए नुकसान की भरपाई के लिए जगह-जगह बड़े बड़े होर्डिंग-पोस्टर लगा दिए गए। इस पर आपत्ति के बाद भी इन्हें नहीं हटाया गया। इसके बाद जैसे को तैसा जवाब देते हुए यह पोस्टर वार शुरू हो गई। शनिवार, 14 मार्च को लखनऊ की सड़कों पर और भाजपा कार्यालय के बाहर एक पोस्टर लगा दिखाई दिया। पोस्टर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के साथ कई केंद्रीय मंत्रियों की फोटो हैं, साथ ही चुनावी हलफनामे के दौरा
'उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार विरोध प्रदर्शनों, जुलूसों और धरने के कारण सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अध्यादेश लाएगी. लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ. सरकार ने यह कदम हाई कोर्ट के उस आदेश के बाद उठाया है जिसमें उसे लखनऊ में लगाए गए सीएए विरोधियों के पोस्टर हटाने का आदेश दिया गया था. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है. शीर्ष अदालत ने भी सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा था कि उसे किस कानून ने ऐसा करने का अधिकार दिया है.
'उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर राजधानी लखनऊ में लगे पोस्टरों के मामले में योगी सरकार को झटका लगा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उससे ये पोस्टर हटाने को कहा है. अदालत ने इस कदम को अवैध और मानवाधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए लखनऊ प्रशासन से 16 मार्च तक इस मामले में रिपोर्ट भी तलब की है. पुलिस-प्रशासन द्वारा लगाए गए इन पोस्टरों में 53 लोगों के नाम, उनकी तस्वीरें और उनके पते छपे हैं. इनमें पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी और सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जफर समेत कई चर्चित नाम भी हैं...'
'उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि योग भारत की ऋषि परंपरा का प्रसाद है। आज पूरी दुनिया मन और शरीर से जुड़ी हुई बीमारियों से मुक्ति चाहती है। योग करने से इनसे जुड़ी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। इसको अपनाने से कोरोना वायरस की चपेट में भी लोग नहीं आएंगे...'
'अपने बयानों से सुर्खियों में बने रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि मुसलमानों को बंटवारे के वक्त ही पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए था. खबरों के मुताबिक गिरिराज सिंह का कहना था, ‘हमारे पूर्वजों से गलती हो गई. मुसलमान भाइयों को 1947 में ही वहां (पाकिस्तान) भेज दिया जाना चाहिए था.’ उन्होंने आगे कहा, ‘1947 के पहले हमारे पूर्वज आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, उसी वक्त मोहम्मद अली जिन्ना इस्लामिक स्टेट की योजना बना रहे थे.’ गिरिराज सिंह के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है...'
'उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को दावा किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ गत 19 दिसंबर को राज्य के विभिन्न जिलों में हुई हिंसा के दौरान एक भी व्यक्ति पुलिस की गोली लगने से नहीं मरा. योगी ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘सीएए के खिलाफ उपद्रव के दौरान पुलिस की गोली से कोई नहीं मरा.
'RSS प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि इन दिनों तलाक के अधिक मामले शिक्षित और संपन्न परिवारों में सामने आ रहे हैं क्योंकि शिक्षा और संपन्नता अहंकार पैदा कर रहा है जिसका नतीजा परिवार का टूटना है। अपने परिजन के साथ कार्यक्रम में आए RSS कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत में हिंदू समाज का कोई विकल्प नहीं है...'