'प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि उनकी सरकार में सभी तरह के आंकड़े और सेवाएं ऑनलाइन होने के कारण पारदर्शिता आई है। अगर यह सच है तो उनकी सरकार फिर इंटरनेट बंद करने में नंबर-वन क्यों है?
'नए नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा को लेकर सेना प्रमुख बिपिन रावत का एक अहम बयान आया है. दिल्ली में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लोगों को हिंसा की तरफ ले जाने वालों को नेता नहीं कहा जा सकता. जनरल बिपिन रावत का कहना था, ‘नेतृत्व वह नहीं होता जो लोगों को गलत दिशा में लेकर जाए. आज हम सब देख रहे हैं कि बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के छात्र कई शहरों में हिंसा और आगजनी करती भीड़ की अगुवाई कर रहे हैं. इसे नेतृत्व करना नहीं कहते.’...'
'सेना प्रमुख बिपिन रावत द्वारा उदारवादी संवेदनाओं पर किए गए प्रहार की जमकर आलोचना हो रही है। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शनों में शामिल छात्रों, राजनेताओं और दूसरे लोगों के ख़िलाफ़ टिप्पणी की थी। रावत का मूल तर्क था कि प्रदर्शनकारियों का हिंसा की तरफ़ बढ़ना ग़लत है, इसकी आड़ में उन्होंने अपनी बात रखी थी। यह जनरल की पहली राजनीतिक टिप्पणी नहीं है। सवाल उठता है कि आख़िर वे यह सब कहाँ से ला रहे हैं। दरअसल जनरल जानते हैं कि वे ऐसी टिप्पणी कर बच सकते हैं, क्योंकि वे सत्ताधारी नेताओं के साथ ख़ूब घुले-मिले हुए हैं। इसलिए वे हमेशा सत्ता के पक्ष में बोलते नज़र आते हैं। चाहे वो कश
'नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर हो रहे प्रदर्शनों को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में है। इसका ताजा उदाहरण दिल्ली से सटे जनपद गाज़ियाबाद के लोनी इलाके का है। यहां शुक्रवार 20 दिंसबर को नमाज़ के बाद एक शंतिपूर्ण विरोध मार्च हुआ। इस प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह की हिंसा भी नहीं हुई लेकिन पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस एफआईआर को देखें तो 153 लोग नामज़द है और 1500 अज्ञात हैं। इन सभी पर लोनी में दंगों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इतना ही नहीं जैसा की हमने देखा है संगीन आरोप में शामिल लोगों के बारे में इश्तहार
'नए नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं. इन्हें देखते हुए उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में धारा 144 लगा दी गई है. इसके तहत चार या इससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लग जाती है. उधर, दिल्ली सहित कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है. इनमें चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा और स्वराज्य अभियान पार्टी के नेता योगेंद्र यादव शामिल हैं. पीटीआई के मुताबिक योगेंद्र यादव ने कहा, ‘इस देश में नागरिकता का बंटवारा नहीं किया जा सकता.’...'
'हाल ही में लाए गए नए नियमों के तहत केंद्र सरकार को केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग के ऊपर नियंत्रण देना यह सुनिश्चित करेगा कि आरटीआई की अपील पर सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक काम हो... सूचना का अधिकार (आरटीआई) पर नरेंद्र मोदी सरकार के असली असर को लेकर सस्पेंस और रहस्य का पर्दा हट गया है. सभी सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता को पहुंचा नुकसान उम्मीद से भी ज्यादा है. न सिर्फ उनकी स्वतंत्रता को कम कर दिया गया है- बल्कि सूचना आयोग और इसके मुखिया को सरकार के अधीन कर दिया गया है.
'कश्मीर मसले को लेकर अगस्त महीने में नौकरी से इस्तीफा देने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी कन्न्न गोपपीनाथन के ख़िलाफ़ गृह मंत्रालय ने चार्जशीट जारी किया है। मंत्रालय ने उन्हें बुधवार यानी 6 नवंबर को 2012 बैच के इस अधिकारी के ख़िलाफ़ आरोप पत्र जारी किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी आदेश का पालन नहीं किया। अपने इस्तीफे की जांच के दौरान हेडक्वॉर्टर छोड़ देने का भी गोपीनाथन पर आरोप था। ज्ञात हो कि गोपीनाथन दमन-दीव और दादर-नागर हवेली में पावर डिपार्टमेंट में सेवाएं दे चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन पहले ही गोपीनाथन ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का समर्थन किया था। बता दें कि लवासा के पुरा
'रिहाई की शर्त के रूप में हिरासत में लिए गए लोगों को यह वादा करना पड़ रहा है कि वे एक साल तक जम्मू कश्मीर की हालिया घटनाओं के संबंध में न तो कोई टिप्पणी करेंगे और न ही कोई बयान जारी करेंगे... बड़े नेताओं के साथ कश्मीर में राजनीतिक रूप से हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने के लिए एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं जो देश में संविधान के तहत मिले अधिकारों का खुलेआम दुरुपयोग है. रिहा किए जाने वाले लोगों से जिन बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं उसके तहत रिहाई की यह शर्त है कि वे अनुच्छेद 370 सहित कश्मीर के हालिया हालात पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
'उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले के एक प्राइमरी स्कूल का मामला. हेडमास्टर ने कुछ लोगों पर मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाते हुए अपने निलंबन को अन्यायपूर्ण बताया है. उनके अनुसार, उन्होंने अल्लामा इकबाल की उस कविता का पाठ कराया है जो सरकारी स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल है... इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीसलपुर बीईओ उपेंद्र कुमार की जांच के अनुसार प्रधानाध्यापक फुकरान अली द्वारा बच्चों से 1902 में मोहम्मद इकबाल की लिखी कविता ‘लब पे आती है दुआ’ का पाठ कराया जा रहा था. इकबाल को अल्लामा इकबाल के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने ‘सारे जहां से अच्छा’ जैसे गीत लिखे हैं...'
'महिला संगठनों की एक पांच सदस्यीय टीम ने पांच दिनों तक कश्मीर का दौरा करने के बाद वहां के हालात पर मंगलवार को दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर जांच रिपोर्ट जारी की... 'कश्मीर में अभी कानून का शासन नहीं है', 'गला दबाया गया है और कहा जा रहा है खुश रहो', '8 बजे के बाद किसी के घर में लाइट जलने पर सेना द्वारा प्रताड़ित किया जाता है', 'हमने जो अपने महीने दो महीने के लिए चावल खरीद के रखा हुआ था उस पर सेना ने आकर केरोसिन डाल दिया', 'पिछले 50 दिनों में 13 हज़ार 10 से 22 साल के बीच के उम्र के बच्चों को पुलिस और सेना द्वारा उठाया गया है।'...'