'कोरोना वायरस का संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ रहा है. इसी बीच कन्नडा चैनल ‘पब्लिक TV’ ने 14 मार्च को एक न्यूज़ बुलेटिन दिखाया. इसमें दावा किया गया कि कर्नाटका, भटकाल में चार मुस्लिम युवक दुबई से लौटे हैं और उन्होंने धार्मिक कारणों से कोरोना का टेस्ट करवाने से मना किया है. हालांकि, प्रसारण का वीडियो ऑफिशियल यूट्यूब चैनल से अब डिलीट कर दिया गया है मगर आप इसे नीचे देख सकते हैं...'
'एक व्यक्ति की तस्वीर सोशल मीडिया में ये कहते हुए वायरल हो रही है कि ये व्यक्ति हिमालया आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के फ़ाउन्डर मोहम्मद मेनल हैं. दावा है कि ये अपनी आमदनी का 10% ‘जिहादियों’ को देते हैं. ट्विटर यूज़र भरत संघवी ने तस्वीर को इसी दावे से शेयर किया था. संघवी को ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह फ़ॉलो करते हैं... हैन्डल ‘@Read_Bannaj’ ने एक और कदम आगे बढ़ते हुए दावा किया कि हिमालया प्रोडक्ट का सभी हिन्दुओं को बहिष्कार करना चाहिए क्योंकि इसका मालिक एक मुस्लिम व्यक्ति है और वो अपनी आय का 10% ‘आतंकवादियों’ को देता है.
'5 मार्च को प्राइवेट न्यूज़ चैनल ‘टाइम्स नाउ’ ने प्रसारण के दौरान एक वीडियो चलाया. वीडियो में दिल्ली दंगों के दौरान एक शख़्स को गोली चलाते हुए देखा जा सकता है. चैनल ने दावा किया – “दिल्ली हिंसा का नया वीडियो. रिपोर्ट के अनुसार ये मौजपुर का वीडियो है…पुलिस पर हमले का ये चौथा वीडियो.” चैनल ने इसे #ShaheenLynchModel हैशटैग के साथ ट्वीट किया... इसके एक दिन बाद भाजपा के सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने यही वीडियो ट्वीट किया. उन्होंने ये दावा किया कि गोली चलाने वाला शख़्स मुस्लिम समुदाय का है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी द्वारा पुलिस पर गोलीबारी करने का एक और वीडियो.
'आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों के दौरान आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत का ज़िम्मेदार बताया गया है. शर्मा की लाश 26 फ़रवरी को हुसैन के घर के पास वाले एक नाले में मिली थी. उसके बाद से आप नेता को पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया और उन्हें पुलिस हिरासत में रखा गया है. इस पूरे दौरान दिल्ली में हुई हिंसा और ताहिर हुसैन से जुड़ी कई मीडिया रिपोर्ट्स में पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांतों की अनदेखी की गई. ऐसी ही एक रिपोर्ट है ‘सुदर्शन न्यूज़’ की. 27 फ़रवरी को चैनल ने दो मिनट का एक वीडियो ट्वीट किया जिसके अनुसार वो ताहिर हुसैन के घर की ग्राउंड रिपोर्ट है.
'कई यूज़र्स ‘दिलावर शेख (@DilawarShaikh_)’ की एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं. ट्वीट में शेख, हिंदुओं को सबक सिखाने के लिए उन्हें काटने की बात कह रहे हैं. शेख ने खुद को ‘अल जज़ीरा का संवाददाता’, पहले ‘द वायर’ से जुड़ा हुआ और खुद को राणा आयूब से प्रभावित बताया है. हालांकि, उन्होंने अब अपना अकाउंट डिलीट कर दिया है... वेबसाइट ‘ऑपइंडिया’ ने भी ऐसे ही दावों वाला एक आर्टिकल प्रकाशित किया था. हालांकि उन्होंने बिना कोई वजह बताए इस आर्टिकल को डिलीट कर दिया है... शेख का ये दावा कि वो ‘अल जज़ीरा’ और ‘द वायर’ के साथ काम करते हैं, गलत है.
'सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने वाले नफरती भाषणों के लिए नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली एक याचिका पर चार मार्च को सुनवाई करने का सोमवार को निर्णय किया. हालांकि, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उसके पास शक्तियां नहीं हैं. द टेलीग्राफ के अनुसार, सीजेआई एसए बोबडे ने वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस से कहा, ‘हम इसे सुनेंगे. लेकिन आपको समझना चाहिए कि हम ऐसी चीजों को रोकने में सक्षम नहीं हैं. हम केवल तभी दखल दे सकते हैं जब ऐसे दंगे हो चुके होते हैं… अदालत कभी भी ऐसी चीजों को नहीं रोक सकती है.’...'
'देश की राजधानी दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा से जूझ रही है. 40 के क़रीब लोगों की मौत हो चुकी है. सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. क़रीब 600 से ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हिंसा के इर्द-गिर्द राजनीति भी चरम पर है. हर ख़ेमे के लोग अपने-अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने की फ़िराक़ में हैं. इस चक्कर में कितने ही लोगों ने ग़लत ख़बरें, भ्रामक जानकारियां फैलाईं. कितने ही मेसेज, तस्वीरें, वीडियो वगैरह सोशल मीडिया पर फैल रहे हैं. ऑल्ट न्यूज़ लगातार इन मेसेजेज़, तस्वीरों, वीडियोज़ की पड़ताल कर रहा है और इनकी सच्चाई आप तक ला रहा है...'
'दिल्ली मेट्रो के भीतर और राजीव चौक स्टेशन पर देश के गद्दारों को गोली मारने के नारे लगने का मामला सामने आया है. पीटीआई के मुताबिक इस सिलसिले में छह लोगों को हिरासत में लिया गया है... इस तरह के नारे दिल्ली चुनावों के दौरान भी लगे थे. ये भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने एक चुनावी सभा में लगवाए थे. इसके बाद चुनाव आयोग ने उनके चुनाव प्रचार करने पर कुछ समय तक रोक लगा दी थी. इस तरह के भड़काऊ नारों को दिल्ली में हुई हालिया हिंसा के भड़कने के लिए भी जिम्मेदार माना जा रहा है जिसमें अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है...'
'दिल्ली हाईकोर्ट में दंगों के मामले मामले की बुधवार और गुरुवार की कार्यवाहियों के अंतर ने स्पष्ट कर दिया है कि कैसे अदालत में बेंच की संरचना किसी मामले के नतीजे को प्रभावित कर सकती है, दो अलग-अलग दृष्टिकोणों को भी जन्म दे सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट ने भड़काऊ या नफरत फैलाने वाले भाषणों (हेट स्पीच) के खिलाफ की गई कार्रवाई पर जानकारी देने के लिए गुरुवार को केंद्र सरकार को एक महीने समय दिया है। आरोपों में कहा जा रहा है कि इन्हीं भाषणों की वजह से दिल्ली में हिंसा भड़की है। हिंसा में कम से कम 35 लोगों की मौत होने और 200 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है। एक दिन पहले, न्यायमूर्ति एस मुरलीधर
'दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर कर दिया गया है। जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली में लगातार बढ़ रही हिंसक गतिविधियों को देखते हुए आधी रात को कोर्ट खोल कर पीड़ितों को जरूरी इलाज मिले यह सुनिश्चित किया और आज दोपहर को उन्होंने सुनवाई करते हुए बीजेपी के तीन नेताओं अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा पर एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे... जस्टिस मुरलीधर कड़े फैसले देने वाले जजों में से माने जाते हैं। उन्होंने हाशिमपुरा नरसंहार मामले, 1984 में हुए सिख दंगों में शामिल रहे सज्जन कुमार के मामले में भी फैसला सुनाया था। अब उनका ट्रांसफर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट कर दिया गया है...'