' उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में भाषण देने के आरोप में मथुरा जेल में बंद डॉ. कफील खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्यवाही की गई है. अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश कुलहरी ने बताया, ‘डॉ. कफील खान के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है और वे जेल में ही रहेंगे.’ कफील वर्तमान में मथुरा जेल में बंद हैं...'
'नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के खिलाफ चल रहे विरोध के बीच, उत्तर प्रदेश पुलिस कथित रूप से उन 21 संगठनों की पहचान कर उनपर नजर रख रही है जिन्होंने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन किया था और इसके खतरे बताने वाले पैम्फलेट व अन्य पढ़ने वाली सामग्री वितरित की थी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 16 फरवरी को अपने संसदीय क्षेत्र में विजिट का कार्यक्रम है ऐसे में कोई विरोध आदि न करे इसलिए पुलिस ऐसे संगठन के लोगों या प्रमुखों की गतिविधियों पर नज़र रख रही है और स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) सोशल मीडिया पर भी नजर रख रही है...'
'CJP असम में एनआरसी से बाहर किए गए लोगों को निशुल्क कानूनी सहायता देने के साथ ही 3 साल से अधिक समय तक हिरासत में रहने वाले लोगों की सुरक्षित रिहाई में मदद कर रहा है, यहां से खबर आ रही है कि प्रशासन डिटेंशन कैंप में बंद लोगों को उचित पोषण नहीं दे रहा है...'
'नज़्बुन्निसा सिंगल मदर हैं जो दूसरों के घरों में काम कर गुज़ारा करती हैं. उन्होंने हमें अपना पूरा नाम नहीं बताया. नज़्बुन्निसा और फ़रीदा बेगम को 30 जनवरी को गिरफ़्तार किया गया था. फ़रीदा उस स्कूल में टीचर हैं जहां उनकी बेटी पढ़ाई करती है. दोनों महिलाओं पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया गया है जिससे दोनों इनकार करती रही हैं. कर्नाटक के उत्तर में बसे बीदर ज़िले की जेल में मेरी उनसे मुलाक़ात हुई. जेल अधिकारी के कमरे में हुई मुलाक़ात में उन्होंने कहा कि वो मज़बूत बने रहने की बहुत कोशिश कर रही हैं लेकिन अचानक से उनकी ज़िंदगी में उथल-पुथल मच गई है...'
'अंतिम सूची के 31 अगस्त 2019 में प्रकाशन होने के बाद आधिकारिक वेबसाइट www.nrcassam.nic.in पर वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम शामिल और बाहर किए जाने का पूरा विवरण अपलोड किया गया था। यह डेटा पिछले कुछ दिनों से उपलब्ध नहीं है और इसने लोगों में, खासतौर पर सूची से बाहर किए गए लोगों के बीच दहशत पैदा कर दी है क्योंकि उनके नाम खारिज किए जाने का प्रमाणपत्र उन्हें जारी किया जाना अभी बाकी है...'
'उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ पर निकले करीब आधा दर्जन युवाओं को गाजीपुर में गिरफ्तार कर लिया है. यह पदयात्रा राज्य के चौरी-चौरा से शुरू हुई थी और इसे दिल्ली में राजघाट पर खत्म होना था. यात्रा में शामिल युवाओं के मुताबिक यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई क्योंकि ‘यह वो जगह थी जहां 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था. उस दिन ऐसे आज़ाद हिंदुस्तान की तासीर तय हो गई थी जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी, फिर चाहे वो हमारा शोषक, हमारा दुश्मन ही क्यों न हो.’...'
'दिल्ली की एक अदालत ने मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह मामले में इसके संचालक ब्रजेश ठाकुर को उम्रकैद की सजा सुनाई है. खबरों के मुताबिक अदालत ने उसे पॉक्सो कानून के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया. 11 अन्य दोषियों को भी उम्र कैद हुई है. मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन शोषण का मामला मई 2018 में तब सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने अपने ऑडिट के दौरान यहां की बच्चियों से बातचीत कर एक रिपोर्ट तैयार की थी. इसके बाद पुलिस जांच में कई लड़कियों के गायब होने का खुलासा भी हुआ. विवाद बढ़ा तो राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.
'दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में नए नागरिकता कानून के विरोध में बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग करती याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि आम आवाजाही के रास्ते में ऐसा प्रदर्शन जारी नहीं रखा जा सकता. अदालत का कहना था, ‘हर कोई ऐसे प्रदर्शन करने लगे तो क्या होगा?’ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदर्शन को लेकर एक जगह सुनिश्चित होनी चाहिए. मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी...'
'नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ मुंबई बाग में चल रहे प्रदर्शन पर मुंबई पुलिस ने कार्रवाई की है। प्रदर्शनकारी 300 महिलाओं और आयोजकों पर मामला दर्ज किया गया है। महिलाओं पर बॉम्बे पुलिस एक्ट की कई धाराएं लगाई गई हैं। हालांकि केस दर्ज होने के बावजूद महिलाएं पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, उनका दावा है कि जब तक सरकार सीएए को वापस नहीं लेती, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा...'
'कर्नाटक के बीदर के एक स्कूल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए एक नाटक के बाद स्कूल पर राजद्रोह का मामला दर्ज होने और नौ साल के एक बच्चे की विधवा मां से पूछताछ और गिरफ्तारी के बाद राज्य के बाल अधिकार आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने जिला पुलिस से कहा है कि इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के साथ कई नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. कर्नाटक स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (केएसपीसीआर) के अध्यक्ष एंटनी सेबेस्टियन ने बीदर पुलिस के अधिकारियों को एक पत्र लिखा है.