"नरेंद्र मोदी आज उस वक्त मुश्किल में पड गए जब चुनाव आयोग ने गुजरात प्रशासन को आदेश दिया कि आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए. मोदी ने गांधीनगर में अपना वोट डालने के बाद भाजपा का चुनाव चिह्न ‘कमल’ हाथ में लेकर दिखाते हुए भाषण दिया था. दिल्ली में चुनाव आयोग के आदेश में कहा गया, ‘‘आयोग का मानना है कि जिस दिन पूरे गुजरात और देश के अलग-अलग हिस्सों में मतदान जारी है, उस दिन सभा कर और सभा को संबोधित कर नरेंद्र मोदी ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 126 (1) (ए) और 126 (1) (बी)का उल्लंघन किया है.’’"
"कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी ने आज मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को वर्ष 2002 के दंगों के मामले में एसआईटी द्वारा क्लीन चिट देने के फैसले को सही ठहराने वाले अहमदाबाद मेट्रोपोलिटन अदालत के आदेश के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी है..."
"मैं 2014 की सबसे महत्वपूर्ण किताब पढ़ रहा हूँ. यह है मनोज मित्ता की किताब द फिक्शन ऑफ़ फैक्ट फाइंडिंग: मोदी एंड गोधरा यह सौभाग्य बहुत कम किताबों को मिलता है कि वे अपने समाज की अंतरात्मा की आवाज़ की तरह उभरें जब ऐसा लगे कि वह पूरी तरह सो चुकी है. वे हमें खुद अपने सामने खड़ा कर देती हैं और मजबूर करती हैं कि हम अपने आपको पहचानें,खुद को दिए जाने वाले धोखे से निकल सकें और खुद को इम्तहान की खराद पर चढ़ा सकें.ऐसी किताब लिखने के लिए निर्मम तटस्थता चाहिए और सत्य के लिए अविचलित प्रतिबद्धता. इसमें तात्कालिक आग्रहों से स्वयं को मुक्त रखना एक चुनौती है..."
"एक ओर जहां लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और उसके पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी दंगों के दाग से मुक्ित पाना चाह रहे हैं, वहीं दंगों का दंश उनका पीछा नहीं छोड़ रहा. ताजा मामले में दंगा पीड़ित तनवीर जाफरी ने मोदी सरकार पर 12 वर्षों से पीड़ितों के शोषण का आरोप लगाया है. गुजरात दंगों में अपने पिता एहसान जाफरी को खो देने वाले तनवीर जाफरी न्याय के लिए मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ पिछले 12 वर्षों से कानूनी जंग लड़ रहे हैं. जाफरी ने 2002 दंगा पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार द्वारा सेन्ट्रल आईबी और सीआईएसएफ भर्ती में उम्र सीमा बढ़ाने के आदेश की सराहना की है.
"गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका की जांच के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट के ख़िलाफ़ ज़किया जाफ़री की याचिका को अदालत के ज़रिए ख़ारिज किए जाने के बाद ऐसा कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में अब पूरी तरह से क्लीन चिट मिल गई है... ऐसा लगता है मोदी निचली अदालत के फ़ैसले का चुनाव के दौरान राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहते हैं. अब अगर ज़किया जाफ़री हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाती हैं और भारत में जिस तरह से न्याय व्यवस्था है हम सभी जानते हैं कि उसमें वक्त लग सकता है.