'20 दिसंबर को बिजनौर के नहटौर कस्बे में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान 20 वर्षीय सुलेमान की मौत हो गई. बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी ने 24 दिसंबर को न्यूज़लॉन्ड्री से स्वीकार किया था कि सुलेमान की मौत पुलिस की गोली से हुई है. त्यागी ने कहा था, ‘‘हिंसा के दौरान हमारे एक दरोगा का सरकारी पिस्टल उपद्रवी छीनकर भाग रहे थे. हमारा एक सिपाही मोहित कुमार दोबारा वह पिस्टल हासिल करने के लिए आगे बढ़ा तभी एक उपद्रवी ने उसके ऊपर गोली चला दी. आत्मरक्षा में उसने भी गोली चलाई, जो उस उपद्रवी को लगी. बाद में पता चला कि वो सुलेमान था. उसकी मौत हो गई.’’...
'कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पुलिस पर शनिवार को गम्भीर आरोप लगाया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हाल में हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए पूर्व आईपीएस अफसर के घर जाते वक्त उन्हें रोकने की कोशिश कर रही पुलिस ने उनका गला दबाकर उन्हें गिराया...'
' नागिरकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) पर देश के कई हिस्सों में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच मानवाधिकार कार्यकताओं ने यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है। गुरुवार को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में ‘आतंक का राज’ है। साथ ही उन्होंने खुलासा किया है कि यहां की पुलिस CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को कुलचने के लिए लोगों पर झूठे मामलों में फंसा रही है। उन्होंने मांग की कि राज्य में पुलिस की कार्रवाई और हत्याओं के बारे में सच्चाई का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच जरूरी है। हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन ने किसी
'कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को उत्तर प्रदेश पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नये नागरिकता कानून के खिलाफ हाल में हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार किये गये पूर्व पुलिस अधिकारी के घर जाते वक्त पुलिस ने उनका गला दबाकर उन्हें गिराया...'
'बीते 20 दिसंबर को रोजाना की तरह 45 वर्षीय ओमराज सैनी जंगल से सब्जियां लेकर आएं और गट्ठर खोलकर घर के बाहर रख दिया. थोड़ी दूर पर गोलियां चलने और नारेबाजी की आवाजें आ रहीं थी, क्योंकि उस दिन उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नहटौर कस्बे में भारी संख्या में लोग नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इसी बीच सैनी अपने घर से उठकर एक मंदिर के पास गए कि अचानक से एक गोली उनके पेट को आर-पार करते निकल गई और वो धड़ाम से वहीं गिर गए. उनका भतीजा दौड़कर उनके पास आया और उन्हें तुरंत घर ले गया. लोग समझ नहीं पाए कि अचानक से ये क्या हो गया.
'विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शन में अब तक देशभर में 25 लोगों की मौत हो चुकी है. 18 लोगों की मौत अकेले उत्तर प्रदेश में हुई है, जिसमें एक आठ साल का बच्चा शामिल है. वहीं, असम में पांच लोगों की मौत हुई है जबकि मेंगलुरु में दो लोगों की मौत हुई है...'
'नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर हो रहे प्रदर्शनों को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में है। इसका ताजा उदाहरण दिल्ली से सटे जनपद गाज़ियाबाद के लोनी इलाके का है। यहां शुक्रवार 20 दिंसबर को नमाज़ के बाद एक शंतिपूर्ण विरोध मार्च हुआ। इस प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह की हिंसा भी नहीं हुई लेकिन पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस एफआईआर को देखें तो 153 लोग नामज़द है और 1500 अज्ञात हैं। इन सभी पर लोनी में दंगों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इतना ही नहीं जैसा की हमने देखा है संगीन आरोप में शामिल लोगों के बारे में इश्तहार
'उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में गुरुवार को हुए हिंसक प्रदर्शनों में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें महिला कार्यकर्ता सदफ़ जफर भी हैं. नागरिकता कानून के विरोध में 19 दिसंबर को हुई हिंसा के मामले में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर में 34 लोगों के नाम हैं, जिनमें सदफ़ जफर, वकील मोहम्मद शोएब, ऋषि मंच के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता दीपक कबीर भी हैं. सदफ़ कांग्रेस की मीडिया प्रवक्ता भी हैं. द क्विंट के मुताबिक, सदफ़ के परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी लाठियों से पिटाई की.
'उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन को लेकर बीते 15 दिसंबर की रात पुलिस की बर्बरता के शिकार हुए छात्रों से द वायर के अविचल दुबे की बातचीत.'
'उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार की रात अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू के पत्रकार को हिरासत में लेकर उसके साथ अभद्र व्यवहार किया। इस घटना को लेकर पत्रकार संगठनों ने दोषी पुलिसकर्मियों को निष्कासित करने की मांग की है और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जतायी है। इस घटना को लेकर “द हिंदू” अख़बार के विशेष संवाददाता उमर राशिद बताते हैं कि शुक्रवार की रात वह विधानसभा के निकट एक होटल पर आकर बैठे थे और सरकारी अधिकारियों द्वारा होने वाली प्रेस वार्ता की प्रतीक्षा कर रहे थे। उसी समय कुछ बिना वर्दी के पुलिसकर्मी आए और बिना कुछ बताए उनको अपनी जीप में बैठाकर ले गए। उस समय उनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता रॉबिन व