'पिछले साल विनायक दामोदर सावरकर की मूर्ति को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय में हुए हंगामे के बाद दिल्ली के एक अन्य शैक्षणिक संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक सड़क का नामकरण हिंदुत्व नेता सावरकर के नाम पर कर दिया है. आउटलुक के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन के इस कदम की जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने कड़ी आलोचना की है. जेएनयूएसयू ने इस कदम को ‘जेएनयू की विरासत के लिए शर्मनाक’ बताया है. जेएनयूएसयू की अध्यक्ष ओईशी घोष ने कहा, ‘यह जेएनयू की विरासत के लिए शर्मनाक है कि इस विश्वविद्यालय में इस आदमी का नाम डाल दिया गया है.’...'
'RSS प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि इन दिनों तलाक के अधिक मामले शिक्षित और संपन्न परिवारों में सामने आ रहे हैं क्योंकि शिक्षा और संपन्नता अहंकार पैदा कर रहा है जिसका नतीजा परिवार का टूटना है। अपने परिजन के साथ कार्यक्रम में आए RSS कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत में हिंदू समाज का कोई विकल्प नहीं है...'
'इन दिनों पूरे देश में एनपीआर-एनआरसी-सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी के समांतर, सन 2021 की दशकीय जनगणना की तैयारियां भी चल रहीं हैं. आरएसएस द्वारा एनपीआर, एनआरसी और सीएए का समर्थन तो किया ही जा रहा है, संघ यह भी चाहता है कि जनगणना कर्मी जब आदिवासियों से उनका धर्म पूछें तो वे स्वयं को ‘हिन्दू’ बताएं. संघ के एक प्रवक्ता के अनुसार, सन 2011 की जनगणना में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने अपना धर्म ‘अन्य’ बताया था, जिसके कारण देश की कुल आबादी में हिन्दुओं का प्रतिशत 0.7 घट कर 79.8 रह गया था.
'जेएनयू में बीते रविवार को हुई हिंसा पर घमासान जारी है. इस बीच इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर बताती है कि भाजपा समर्थित एबीवीपी के कम से कम छह पदाधिकारी, जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर, दिल्ली यूनिवर्सिटी से संबद्ध एक कॉलेज के शिक्षक और दो पीएचडी छात्र तीन ऐसे वाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थे जिनमें बीते रविवार को हिंसा की धमकी देते मैसेज चल रहे थे. हिंसा से पहले ये तीनों ग्रुप खूब सक्रिय थे. बल्कि इनमें तब भी मैसेज भेजे जा रहे थे जब नकाबपोश हमलावर जेएनयू कैंपस में घुसकर उपद्रव कर रहे थे...'
'संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम पर विविध प्रतिक्रयाएं सामने आईं हैं, जिनमें से कई नकारात्मक हैं. एक ओर जहाँ उत्तरपूर्व में इस नए कानून का भारी विरोध हो रहा है, जिसमें कई लोगों की जानें जा चुकीं है, वहीं इससे संविधान में आस्था रखने वालों और मुसलमानों में गंभीर चिंता व्याप्त हो गयी है. यह कानून पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के ऐसे हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध, जैन और ईसाई रहवासियों को भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार देता है, जिन्हें उनके देशों में प्रताड़ित किया जा रहा है. इस सूची में इस्लाम धर्म का पालन करने वालों का नाम नहीं है.
'उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में बरकछा स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के राजीव गांधी दक्षिण परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का झंडा हटाए जाने के विवाद में देहात कोतवाली में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में डिप्टी चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. देहात कोतवाली निरीक्षक अभय सिंह ने बताया कि पुलिस को दी गयी तहरीर के अनुसार, राजीव गांधी दक्षिण परिसर के मैदान में मंगलवार 12 नवंबर को आरएसएस और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य शाखा लगाकर योगाभ्यास कर रहे थे.
'26 जनवरी 2001 को आए विनाशकारी भूकंप ने गुजरात को हिलाकर रख दिया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस भूकंप में ढह चुकी इमारतों के मलबे में फंसे लोगों को निकाला, मृतकों का अंतिम संस्कार किया और ठंडी रातों में बेघर हुए लोगों को मुफ्त भोजन मुहैया कराने के लिए रसोई स्थापित किया। आरएसएस ने बाद में बेघर हुए लोगों के पुनर्वास के लिए गांवों का एक समूह बनाया। 2001 के भूकंप के दौरान संघ द्वारा की गई मानवीय सहायता अभी भी लोगों के ज़हन में पूरी तरह छाया हुआ है। अठारह साल बाद संघ की इस अनुकरणीय भूमिका का विस्तार करने वाली एकतरफा कहानी को मालिनी भट्टाचार्जी ने चुनौती दी है। भट्टाचार्जी बेंगलुरु स्
'मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित एक स्कूल के छात्रों ने 2 अक्टूबर को गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर एक लघु नाटक का मंचन किया. इस दौरान महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को आरएसएस की वेशभूषा में दिखाया गया था. केस दर्ज होने के बाद स्कूल ने माफी मांग ली है...'
'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से लोगों के बाहर होने को लेकर लोगों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत कहा कि एक भी हिंदू को देश छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा. माना जा रहा है कि भागवत ने यह टिप्पणी संघ और भाजपा समेत उससे जुड़े संगठनों की बंद दरवाजे के पीछे हुई समन्वय बैठक के दौरान की. समन्वय बैठक के बाद संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘मोहन भागवतजी ने स्पष्ट कहा कि एक भी हिंदू को देश नहीं छोड़ना होगा. उन्होंने कहा कि दूसरे राष्ट्रों में प्रताड़ना और कष्ट सहने के बाद भारत आए हिंदू यहीं रहेंगे.’...'