'दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया का कमरा दर्जनों कैमरा, पत्रकारों और नागरिक अधिकार ऐक्टिविस्ट्स से खचाखच भरा था. सब जमा हुए थे कश्मीर घाटी में पांच दिन बिताकर लौटे अर्थशास्त्री ज़्यां द्रेज़ , नेश्नल अलायंस ऑफ़ पीपुल्स मूवमेंट्स के विमल भाई, सीपीआईएमएल पार्टी से कविता कृष्णनन और ऐप्वा से मैमूना मोल्लाह को सुनने के लिए.
'द वायर में काम कर चुके पत्रकार प्रशांत कनौजिया को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक पोस्ट लिखने के चलते यूपी पुलिस द्वारा शनिवार सुबह दिल्ली में उनके घर से गिरफ़्तार किया गया है. हालांकि, यूपी पुलिस गिरफ़्तारी से इनकार कर रही है... उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया को शनिवार सुबह दिल्ली में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मंडावली स्थित उनके घर से हिरासत में लिया गया.
'10 और 11 जुलाई को ब्रिटेन और कनाडा सरकार ने लंदन में मीडिया स्वतंत्रता पर विश्व सम्मेलन का आयोजन किया था. इस सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के 1500 से अधिक मंत्रियों, राजनयिकों, नेताओं, न्यायाधीशों, शिक्षाविदों और पत्रकारों ने भाग लिया. कारवां के कार्यकारी संपादक विनोद जोस को धर्म और मीडिया पर आयोजित चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था. उस चर्चा में जोस ने दीर्घ अवधि की धार्मिक असहिष्णुता के कारण भारत के अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति बढ़ती हिंसा जो मुस्लिमों और दलितों की भीड़ द्वारा की जाने वाली हत्या की बढ़ती घटनाओं में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं, पर बात की.
'हार्ड कौर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और आरएसएस प्रमुख की आलोचना करते हुए पोस्ट लिखा था, जिस पर वाराणसी में शशांक शेखर नाम के एक वकील ने मामला दर्ज कराया है. शेखर आरएसएस के सदस्य भी हैं...'
'मुंबई पुलिस के अनुसार, गिरफ़्तार डॉ. सुनील कुमार निषाद ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में ईवीएम की विश्वसनीयता और भोपाल से प्रज्ञा सिंह ठाकुर की उम्मीदवारी जैसे कई मामलों पर सवाल उठाए हैं... मुंबई पुलिस ने बुधवार को फेसबुक पर कथित रूप से ‘हिंदू विरोधी’ और ‘ब्राह्मण विरोधी’ और मध्य प्रदेश के भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने के लिए 38 साल के एक होम्योपैथिक डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया किया है...'
'आखिर क्या बात है कि खेती-किसानी हो, अर्थव्यवस्था के दूसरे हिस्से हों, विश्वविद्यालय हों या स्कूल, हिंदी अख़बारों या चैनलों से हमें न तो सही जानकारी मिलती है, न आलोचनात्मक विश्लेषण? क्यों सारे हिंदी जनसंचार माध्यम सरकार की जय-जयकार में जुट गए हैं? पुण्य प्रसून वाजपेयी को सूर्या टीवी चैनल ने नोटिस दे दिया है. वजह बताई नहीं जाती है इसलिए उन्हें दिए गए नोटिस में भी नहीं बताई गई है. लेकिन क्या हम वजह नहीं जानते? सिर्फ हिंदी जानने वाली जनता को कुछ भी सच मालूम न हो सके, इसकी जाने कितनी तरकीबें पिछले पांच सालों में की गई हैं!
'अपने इस लेख में मास्टरस्ट्रोक कार्यक्रम के एंकर रहे पुण्य प्रसून बाजपेयी उन घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जिनके चलते एबीपी न्यूज़ चैनल के प्रबंधन ने मोदी सरकार के आगे घुटने टेक दिए और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.
क्या ये संभव है कि आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम न लें. आप चाहे तो उनके मंत्रियों का नाम ले लीजिए. सरकार की नीतियों में जो भी गड़बड़ी दिखाना चाहते हैं, दिखा सकते हैं. मंत्रालय के हिसाब से मंत्री का नाम लीजिए, पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ज़िक्र कहीं ना कीजिए.
'झारखंड की खूंटी पुलिस ने पत्थलगड़ी आंदोलन मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी, कांग्रेस के पूर्व विधायक थियोडोर किड़ो समेत 20 अन्य लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया है. हिंदुस्तान अख़बार की खबर के मुताबिक पुलिस ने आरोप लगाया है कि इन्होंने लोगों को धोखे में रखकर देश की एकता और अखंडता खंडित करने की कोशिश की है. यह भी आरोप है कि इन लोगों ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सोशल मीडिया का भी सहारा लिया और सांप्रदायिक और जातीय माहौल खराब करने की कोशिश की...'
दिल्ली में नई सत्ता के आने के बाद हुए अपने किस्म के पहले जुटान में मेधा पाटकर, पी. साईनाथ, एडमिरल रामदास, एस.पी उदयकुमार, प्रफुल्ल बिदवई, ज्यां द्रेज़ और अन्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने बढ़ते सैन्यकरण, नाभिकीय ऊर्जा की सनक और जनांदोलनों व अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बढ़ते राजकीय दमन के चलते भारतीय लोकतंत्र के सामने खड़ी हो रही चुनौतियों को प्रकाशित किया और इनके खिलाफ़ अपनी सामूहिक आवाज़ उठायी।