'दुनिया भर में कोविड-19 (नोवेल कोरोनावायरस रोग 2019) के प्रसार को रोकने के लिए लोग तेज़ी से आत्म-अलगाव (होम आइसोलेशन) के साथ घर से काम करने का विकल्प चुन रहे हैं। हालांकि, कश्मीर के लोगों का कहना है कि घाटी में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाओं पर लगे प्रतिबंध के चलते घर से काम करना न केवल मुश्किल है बल्कि असंभव भी है। पिछले अगस्त में धारा 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद, अब इंटरनेट बंद में पिछले महीने ही थोड़ी सी ढील दी गई थी...'
'केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर की स्थिति में बदलाव किए जाने के तुरंत बाद लेबर पार्टी की सांसद एवं कश्मीर पर सर्वदलीय संसदीय दल की अध्यक्ष डेब्बी अब्राहम ने ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया कि यह कार्रवाई कश्मीर के लोगों के विश्वास को धोखा देती है...'
'विदेशी दूतों का एक प्रतिनिधिमंडल कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा पर है, और उनमें से एक राजदूत का कहना है कि उन्हें कश्मीर बेहद “ख़ूबसूरत” लगा और वे लोग इस क्षेत्र में एक “पर्यटक” की हैसियत से घूमने आए हैं। जी हाँ, डोमिनिकन रिपब्लिक के दूत फ्रैंक हांस डैनबर्ग कैस्टेलानोस का अपनी यात्रा के बारे में कहना है कि "हम कश्मीर की यात्रा पर हैं .. यह एक बेहद ख़ूबसूरत जगह है और यहाँ पर हम मात्र पर्यटक की हैसियत से आए हैं।"...'
'‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ में भारत 10 स्थान नीचे खिसक गया है. 165 देशों की इस सूची में वह 51वें स्थान पर है. इससे पिछले साल भारत 41वें पायदान पर था. इस इंडेक्स को जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका द इकॉनॉमिस्ट हर साल जारी करती है. खबरों के मुताबिक शून्य से 10 तक के पैमाने पर भारत का स्कोर 7.23 से गिरकर इस बार 6.90 हो गया है. 2006 में इस रैंकिंग के वजूद में आने के बाद से यह देश का सबसे कम स्कोर है. इसकी मुख्य वजह नागरिक स्वतंत्रता में कटौती बताई जा रही है.
'जम्मू कश्मीर प्रशासन ने राज्य के 450 से अधिक कारोबारियों, पत्रकारों, वकीलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक सूची तैयार की है, जो एक निश्चित समयसीमा के दौरान विदेश यात्रा नहीं कर सकेंगे. हालांकि इस समय सीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, लोकसभा में 5 अगस्त को पारित किए गए जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के माध्यम से राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने और दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के बाद यह सूची तैयार की गई थी. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि कश्मीर का कोई भी ‘प्रभावशाली व्यक्ति’ विदेश यात्रा न कर सके.
'रिहाई की शर्त के रूप में हिरासत में लिए गए लोगों को यह वादा करना पड़ रहा है कि वे एक साल तक जम्मू कश्मीर की हालिया घटनाओं के संबंध में न तो कोई टिप्पणी करेंगे और न ही कोई बयान जारी करेंगे... बड़े नेताओं के साथ कश्मीर में राजनीतिक रूप से हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने के लिए एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं जो देश में संविधान के तहत मिले अधिकारों का खुलेआम दुरुपयोग है. रिहा किए जाने वाले लोगों से जिन बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं उसके तहत रिहाई की यह शर्त है कि वे अनुच्छेद 370 सहित कश्मीर के हालिया हालात पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
'अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाकर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने के संबंध में आरटीआई के तहत द वायर की ओर से मांगी गई जानकारी देने से भी गृह मंत्रालय ने मना कर दिया है... केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि वे यूएपीए संशोधन विधेयक, 2019 संबंधी दस्तावेज़ राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं दे सकते हैं. इसके अलावा मंत्रालय ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के संबंध में भी कोई जानकारी देने से मना कर दिया है.
'कश्मीर घाटी में पोस्ट पेड मोबाइल सेवा बहाल होने के कुछ ही घंटों बाद एहतियात के तौर पर एसएमएस सेवा बंद कर दी गयी। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। कश्मीर में सोमवार मध्याह्न को 72 दिनों बाद पोस्ट पेड मोबाइल सेवा बहाल कर दी गयी थी जबकि इंटरनेट अभी भी बंद है।...'
'जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस समिति ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. रिपोर्ट में पुलिस ने किसी भी बच्चे को गैरकानूनी तौर पर हिरासत में लेने के आरोपों से इनकार किया है...'
'पंजाब के 11 किसान, मजदूर, विद्यार्थी, नौजवान और सांस्कृतिक संगठनों की ओर से केन्द्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 व 35ए को हटाने के फैसले के खिलाफ 15 सितंबर को मोहाली के दशहरा ग्राउंड में होने वाली रैली को पंजाब सरकार द्वारा रोके जाने के बावजूद पंजाब भर में कश्मीरियों के हक़ में जोरदार आवाज़ बुलंद हुई। सुबह 3 बजे से ही पुलिस पूरे राज्य में सतर्क हो गयी, पुलिस ने रैली में पंजाब के अलग-अलग स्थानों से आ रहे लोगों को रोकना शुरू कर दिया। लोग भी उन्हीं जगहों पर धरनों पर बैठ गए जहां उन्हें रोका गया। गांव, शहर, रेलवे स्टेशन या राष्ट्रीय मार्ग जहां भी लोगों को रोका गया उन्होंने वहीं पर अपना रोष जाहिर कर